राजेन्द्र शिवाली
कोटद्वार। वन विभाग और लोनिवि की लापरवाही के चलते आज हुई भारी बारिश से भाबर को कोटद्वार से जोड़ने वाला मालन नदी का पुल धराशाई हो गया। गढ़वाल कुमाऊं के साथ ही कोटद्वार भाबर की लाइफ लाइन मानी जाने वाले इस मार्ग पर बने मालन और सुखरो नदी के पुल लैन्सडाउन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज में होने के कारण मालन नदी के पुल के धराशाई होने के लिए वन विभाग और लोनिवि पूरी तरह जिम्मेदार है।
लोनिवि द्वारा मालन नदी की पूर्वी ओर बहने वाली धारा का नदी में जेसीबी उतार कर धराशाई हुए पुल के पिलर के दोनों ओर किया जा रहा था। इस काम में दो जेसीबी पुल से नोचे और तीन जेसीबी पुल के ऊपर की तरफ नदी की धार के चैनेलाइजेशन का काम किया जा रहा था। वन विभाग और लोनिवि द्वारा चैनेलाइजेशन का काम बरसात से पूर्व या बरसात के बाद किया जाना चाहिए था, लेकिन उस काम को बरसात में करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा पुल के टूटने में मूल रूप से अवैध खनन है, जिसके लिए वन विभाग का कोटद्वार रेंज पूरी तरह जिम्मेदार है। पिछले दिनों कोटद्वार लालढांग मार्ग का निरीक्षण करने कोटद्वार आए वन मंत्री सुबोध उनियाल और कोटद्वार विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी की मौजूदगी में भाबर क्षेत्र के ही एक भाजपा पार्षद ने कोटद्वार रेंज के उच्च अधिकारी पर अवैध खनन करने वालों से खुलेआम अवैध वसूली करने और खनन करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। जिलाधिकारी डा, आशीष चौहान ने आज कोटद्वार पहुंचकर धराशाई मालन नदी के पुल समेत अन्य बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण किया।
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