
मनोज सैनी
हरिद्वार। कुंभ मेले की व्यवस्थाओं में जूना अखाड़े की उपेक्षा से नाराज़ नागा सन्यासियो ने आज शनिवार को जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्री महंत प्रेम गिरी के नेतृत्व में मेला भवन के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन कर धरना दिया। संतो के इस प्रकार धरना प्रदर्शन से पूरे मेला प्रशासन में हड़कम्प जैसी स्थिति बन गयी। जिस समय सीसीआर में सन्तों का मेला प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन चल रहा था उस समय मेलाधिकारी दीपक रावत वहां मौजूद नहीं थे। नाराज़ संतो ने कुंभ मेला प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की।
श्री महंत प्रेम गिरी महाराज ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि जूना अखाड़े का नगर प्रवेश 25 जनवरी को होना है उनके साथ ही आवाहन अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा भी नगर प्रवेश करेगा। तीनो अखाड़ों के पंच हरिद्वार के लिए रवाना हो चुके हैं। तीनों अखाड़ों के पंच पांडे वाला ज्वालापुर में पेशवाई निकलने तक रहेंगे लेकिन अभी तक मेला प्रशासन ने पंचों के रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। उन्होंने कहा जूना अखाड़े की पेशवाई का साजो सामान जिसमे सोने चांदी के होदे, रथ, घोड़े, चांदी के छत्र, शस्त्र, ट्रेक्टर, ट्राली आदि ललता राव स्थित श्री दुःख हरण हनुमान मंदिर बिरला घाट में रखा जाता है। जिसके लिए वहां पर सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी बनाई जाती है। बिजली,पानी, शौचालय, सफाई, टेंट आदि की व्यवस्था कुंभ मेला प्रशासन पूर्व कुंभों में समय रहते करता आया है लेकिन इस बार अभी तक कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है। मेला प्रशासन के इस उपेक्षा पूर्ण रवैए से जूना अखाड़े सहित अन्य सभी अखाड़ों में भयंकर रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा कुंभ मिला विश्व की धरोहर है। पूरे विश्व को निगाहें इस पर टिकी रहती हैं। इसकी गरिमा, महत्व तथा गौरव को किसी भी कीमत पर समाप्त नहीं होने दिया जा सकता है।यदि सरकार व्यवस्था नहीं करती है तो सभी अखाड़े अपने स्तर पर मेला कराने में सक्षम हैं। उनका कहना था कि कुंभ मेला पर्व शुरू हो चुका है और जनवरी का आधा महीना बीत चुका है लेकिन मेला प्रशासन द्वारा अभी तक अखाड़ों को न तो कोई घाट आवंटित किया है और ना ही छावनी के निर्माण के लिए भूमि का आवंटन किया गया है। ऐसे में अखाड़ों के संतों के सामने इष्ट देव की पूजा करने और व्यवस्था मिटाने के लिए बहुत कम समय मिलेगा।
आपको बताते चलें की सरकार और मेला प्रशासन ने कोरोना को देखते हुए इस बार मार्च माह से कुंभ मेला शुरू करने का निर्णय लिया था उसी के अनुसार अभी कुम्भ से सम्बंधित निर्माण कार्य चल रहे हैं और इसी कारण न तो सरकार ने कुम्भ मेले का शासनदेश जारी किया है और न ही अभी तक कुम्भ के कार्य पूरे हो पाए हैं। जबकि पिछले कुंभ मेले जनवरी से शुरू हो जाते थे और सरकार द्वारा शासनदेश जारी होते ही कुम्भकाल शुरू हो जाता था। इतिहास के किसी भी कुम्भ को देखा जाए तो उनमें अभी तक साधु संतों को जमीन आवंटन के साथ साथ कुम्भ से संबंधित सभी कार्य पूर्ण भी हो जाते थे। मगर इस बार कोरोना के कारण न तो कुम्भ के कार्य ही पूरे हो पाए हैं और न ही अखाड़ों को जमीन आवंटन शुरू हो पाया है। जबकि जनवरी का आधा माह बीत चुका है। श्री महंत प्रेम गिरी महाराज ने प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी कि अगर समय रहते काम नहीं हुआ तो नागा सन्यासी देहरादून कूच कर प्रदर्शन करेंगे।
नागा साधुओं के उग्र तेवर देख कर प्रशासन के होश उड़ गए। मौके पर पहुंचे उप मेलाधिकारी दयानन्द सरस्वती, तुषार आदि ने सभी व्यवस्थाएं समय रहते पूरी करने के आश्वासन के बाद धरना ख़तम किया गया। धरना देने वालों में सचिव श्री महंत महेश पूरी, महंत लाल भारती, महादेवानंड, राजेंद्र गिरी,विवेक पुरी, रणधीर गिरी, आजाद गिरी आदि प्रमुख थे।
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