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गंगा बंदी की आवश्यकता क्यों?

हरिद्वार ब्यूरो

हरिद्वार। प्रत्येक वर्ष दशहरा पर्व से लेकर दीपावली तक होने वाली गंगा बंदी से हरिद्वार के निवासियों से लेकर दूरदराज से आने वाले यात्रियों को भी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आखिर हर वर्ष हमें गंगा बंद करनी है क्यों पड़ती है? इसी विषय पर चर्चा करने के लिए स्पर्श गंगा कार्यालय में “गंगा बंदी की आवश्यकता क्यों?” शीर्षक को लेकर हुई गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी डॉ विशाल गर्ग व निर्माणाधीन फिल्म रविदास की निर्देशिका प्रज्ञा ने भाग लिया।

गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए रविदास फिल्म की निर्देशिका प्रज्ञा ने कहा कि बच्चों को पढ़ाते समय मां गंगा से जुड़ा कोई विषय सामने आने पर गंगा की वर्तमान हालत के विषय में सोचने को मजबूर हो जाती हैं। परंतु आज स्पर्श गंगा जैसे बड़े अभियान से जुड़कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है और भविष्य में स्पर्श गंगा द्वारा संचालित कार्यक्रमों में अपना योगदान देने का भी आश्वासन दिया। गोष्ठी के मूल विषय पर प्रकाश डालते हुए समाजसेवी विशाल गर्ग जी ने कहा कि हर वर्ष गंगा बंदी करने से व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि हरिद्वार का व्यापार यात्रियों के आवागमन पर ही केंद्रित है क्योंकि गंगा में ऊपर तक रेत इकट्ठा हो जाता है और बरसात के मौसम में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती है। इस खतरे से बचने के लिए गंगा को बंद करके उसमें से रेत निकाल कर उसे समतल करना भी आवश्यक है। गंगा के घाटों की मरम्मत भी गंगा बंदी के समय ही की जाती है। गंगा बंदी के समय में ही गंगा को समतल करने का कार्य करने के साथ-साथ गंगा की सफाई का कार्य युद्धस्तर पर किया जाता है।

गोष्ठी में स्पर्श गंगा संयोजिका रीता चमोली ने कहा कि गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को बनाए रखने का उत्तरदायित्व केवल कुछ संस्थाओं का ही नहीं है। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और अपने वर्तमान के साथ-साथ अपने भविष्य को भी अपने हाथों से ही संभालना होगा। कार्यक्रम का संचालन रीमा गुप्ता ने किया कार्यक्रम में प्रज्ञा, विशाल गर्ग, रीता चमोली, मनु रावत, विमला डौंडीआल, अंश मल्होत्रा,रजनीश, रीमा गुप्ता, आदि ने भाग लिया।

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