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गंगा सफाई के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपये लगाए जाते हैं ठिकाने, मंत्री से लेकर सन्तरी तक सभी की होती है इसमें हिस्सेदारी

हरिद्वार ब्यूरो

हरिद्वार। गंगा सफाई के नाम पर हर वर्ष दशहरे व दीपावली के मध्य गंगा बन्दी की जाती है लेकिन इस बार कुम्भ निर्माण कार्यों व गंगा सफाई के नाम पर दशहरे से पूर्व ही गंगा बन्दी कर दी गयी थी। मगर इस बीच गंगा कितनी साफ होती है सभी को मालूम है। बस गंगा सफाई के नाम पर खानापूर्ति ही की गयी है। इस वर्ष भी 15 अक्टूबर को गंगा बंदी कर दी गई थी जो कि 14 नवंबर दीपावली की मध्य रात्रि को खोली गई। इस बीच गंगा बंदी के दौरान प्रशासनिक स्तर पर गंगा घाटों की साफ सफाई की व्यवस्था खानापूर्ति भर रही। यदि सामाजिक और धार्मिक संगठनों की ओर से गंगा सफाई करने को आगे न आए होते तो विभागीय सफाई कार्य केवल और केवल कुछ गंगा घाटों की सिल्ट सफाई व निर्माण कार्य तक ही सीमित रह जाती। मोटे तौर पर देखा जाये तो मेला प्रशासन ने भी मीडिया में बने रहने के लिये गंगा के मुख्य घाटों को लेकर ही गंगा सफाई का दिखावा किया। गंगा सफाई को लेकर मेला प्रशासन भी गम्भीर नहीं दिखाई दिया।

अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग मतलब उत्तरी खण्ड गंगा नहर की तो यह विभाग हर वर्ष गंगा बन्दी के दौरान गंगा सफाई के नाम पर करोड़ों रुपयों का बिल बनाता है लेकिन इन करोड़ों रुपयों से कितनी गंगा सफाई होती है जग जाहिर है। विभाग के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर वर्ष गंगा सफाई के नाम पर आई धनराशि की ऊपर से लेकर नीचे तक बंदरबांट होती है। इसमें मंत्री से लेकर उच्चाधिकारियों व कर्मचारियों का प्रतिशत के हिसाब से बंटवारा होता है। इतना ही नहीं कर्मचारी ने बताया कि कभी कभी तो पूरी रात भर फर्जी बिल आदि बनाने के चक्कर में पूरी पूरी रात जागना पड़ता है। इतना ही नहीं गंगा सफाई के नाम पर आई मोटी धनराशि में से कुछ पैसा मीडिया व सत्ताधारी नेताओं के लिये भी बचाकर रखा जाता है ताकि वह गंगा गंगा बन्दी के दौरान सफाई की पोल न खोल सके। कर्मचारी ने बताया कि यदि पिछले 10 वर्षों के दौरान गंगा सफाई के नाम पर आई धनराशि की निष्पक्ष जांच हो जाये तो मंत्री से लेकर सन्तरी सभी इस भ्रष्टाचार की जड़ में आ जायेंगे और आम जनता को मालूम हो जाएगा कि गंगा सफाई के नाम पर आई धनराशि को कैसे ठिकाने लगाया जाता है और जिन्होने ने ईमानदारी का चोला ओढ़ रखा है सबका काला चिट्ठा खुल जाएगा।

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