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गृहस्थी को महामंडलेश्वर बनाने पर मचा बवाल

विकास झा
हरिद्वार। एक नामचीन गृहस्थी नेता के अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर बवाल मच गया है। दबे स्वर में अखाड़े के महामंडलेश्वरों ने हीं इसका विरोध शुरू कर दिया है। महामंडलेश्वर ने आरोप लगाया है कि आखिर किस आधार पर अखाड़े के मठाधीश गृहस्थी को अखाडे़ महामंडलेश्वर बनाने पर तुले हैं। उनके इस निर्णय से सनातन धर्म की कितनी हानि होगी इस पर विचार किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर सनातन संस्कृति के साथ अखाड़े का महत्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
बताते चलें कि हरिद्वार की एक प्रसिद्ध अखाड़े में एक नामचीन नेता को महामंडलेश्वर बनाने की कवायद चल रही है इसकी जानकारी मिलते ही संत समाज में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। हरिद्वार के एक संत ने मामले को लेकर कोर्ट में जाने की धमकी भी दी है।
वही एक संत ने इस विवाद के बीच हरिद्वार से पलायन करने का निर्णय लिया है उनका कहना है कि वे मूकदर्शक बनकर घटना के गवाह नहीं बन सकते इसलिए यहां से जा रहे हैं। उन्होंने कहा धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना की गई थी एवं रक्षक कहे जाने वाले अखाड़े जो निर्णय लेते हैं वह सर्वमान्य होता है । अखाड़े को ही धर्माचार्य नियुक्त करने का अधिकार है लेकिन अखाड़े के मठाधीश अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अपनी मनमानी करने पर तुले हुए हैं और एक गृहस्थी को महामंडलेश्वर बनाने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि मंथन नियुक्ति का मूल आधार है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखाड़े के सचिव महंत किस प्रकार अखाड़े को रहस्य को प्रकट कर रहे हैं। सन्यासी और गृहस्थी के बीच का अंतर नाश करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके पूर्व में नियमों के विपरीत सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर सच्चिदानंद बनाया गया और विवाद होने पर बहिष्कार कर दिया। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या भविष्य में भी गृहस्ती महामंडलेश्वर का बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा आखिर किस नियम के तहत महामंडलेश्वर बनाए और बहिष्कृत किये जाते हैं यह जानना आम जनमानस के लिए जरूरी हो जाता है। कुंभ महापर्व के मध्य इस तरह के निर्णय से सनातन संस्कृति को मेरिट ठेस लगी है धर्म को मानने वाले लोगों में भारी निराशा है। अखाड़े को दोबारा अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा इस विषय पर एक बैठक आहूत कर अभी अखाड़े के महामंडलेश्वर से विचार-विमर्श किया जाना चाहिए ऐसा नहीं होता तो को इसका बहिष्कार करना चाहिए।

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