मनोज सैनी
हरिद्वार। वर्तमान में राजनीति सेवा नहीं, सेवा के नाम पर व्यवसाय का रूप ले चुका है और इसके हमारे सामने उदाहरण भरे पड़े है जिनको बताते बताते एक साल लग जायेगा लेकिन कभी समाप्त नहीं होगा। यदि राजनीति में स्थापित हो गए तो बस फिर नेता जी के वारे न्यारे। वैसे तो हर राजनीतिक दल में नेताओं के अपने अपने गुट है। छोटे नेताओं के छोटे गुट और बड़े नेताओं के बड़े गुट। मगर चूंकि मैं कांग्रेस की विचारधारा वाला व्यक्ति हूँ तो कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति को बेहद करीब से जानता हूँ। यहां भी गुटबाजी कम नहीं है।
अब जब कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को हटाकर गणेश गोदियाल को बनाया है तो वह सिर्फ हरीश रावत की छाया बनकर रह गये। अब असल मुद्दे पर आते है। चूंकि प्रदेश अध्यक्ष बन गए तो निश्चित ही अब कोई हरीश रावत गुट का नेता ही जनपदों में पदों पर बैठेगा। इसी क्रम में महानगर अध्यक्ष का बदलना भी तय माना जा रहा है, मगर बदले हालातों में भी वर्तमान महानगर अध्यक्ष पार्टी हित में जोर शोर से लगे हुए हैं जो वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष व हरीश रावत गुट को पच नहीं रहा है और उनके समर्थक लगातार महानगर अध्यक्ष को बदलने का दबाव बना रहे है। अब हरीश रावत और उनकी छाया बने गोदियाल के सामने मुश्किल यह है कि आखिर महानगर अध्यक्ष बनाया किसे जाए उनके जितने भी समर्थक है उनके पास न तो कोई जनाधार और जो है भी वह अधिकतर दलबदलू हैं, जो मौका लगते ही इधर से उधर उछल कूद करते रहते हैं। अब विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि महानगर अध्यक्ष बनने के लिये मध्य हरिद्वार से 2 नेताजी 2 लाख रुपये लिये राजधानी के चक्कर काट रहे है लेकिन समस्या यह है कि उनके पास जनाधार नहीं है और उनका इतिहास दलबदल का रहा है। इसलिये मामला लटका हुआ है।
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