
मनोज सैनी
हरिद्वार। कुम्भ मेला 2021 के लिए जूना अखाड़ा,आव्हान अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री व जूना अखाड़ा के अंतराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के साथ विचार विमर्श कर नगर प्रवेश,भूमि पूजन, धर्मध्वजा तथा पेशवाई की तिथियां घोषित कर दी है। शनिवार को आव्हान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यागिरि, अग्नि अखाड़े के कुम्भ मेला प्रभारी श्रीमहंत साधनानंद ब्रहमचारी, जूना अखाड़े की निर्माण मंत्री श्रीमहंत शैलजा गिरि,थानापति नीलकंठ गिरि आदि ने विद्वान पण्डितों की उपस्थिति में श्रीमहंत हरिगिरि महाराज से मुहूर्त निकालने के लिए मंथन कर तिथियों की घोषणा कर दी। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने तिथियों की घोषणा करते हुए कहा जूना अखाड़ा, आव्हान अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा तीनों एक साथ शाही स्नान करते है तथा इन तीनों की धर्मध्वजा व छावनी जूना अखाड़े के परिसर में ही स्थापित होती है। लिहाजा 25 जनवरी 2021 को जूना अखाड़े की अगुवाई में आव्हान अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा नजीबावाद हरिद्वार मार्ग से नगर प्रवेश करेगा। नगर में प्रवेश करने से पूर्व काॅगड़ी ग्राम में श्रीप्रेमगिरि आश्रम मे समस्त देवताओं, माॅ गंगा, माॅ चण्डीदेवी, सिद्वकालीपीठ, गौरीशंकर महादेव, मायादेवी, दक्षमहादेव की पूजा अर्चना करेगा तथा कुम्भ मेले की निर्विध्न, सकुशल सम्पन्न होने की कामना के साथ जुलूस के साथ रमता पंचों के नेतृत्व में नगर प्रवेश करेगा। उन्होने बताया 16 फरवरी 2021 को प्रातः 10ः23 मिनट से दोपहर 2बजे तक भूमि पूजन किया जायेगा तथा उसके पश्चात तीनों अखाड़े अपनी अपनी धर्म ध्वजा स्थापित करेंगे। 27 फरवरी को दोपहर 12ः40बजे पांडेवाला ज्वालापुर से जूना अखाड़े तक अग्नि अखाड़े की पेशवाई जूना अखाड़े पहुॅचकर अपनी अपनी छावनियों में प्रवेश करेगा। आव्हान अखाड़ा 01 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजे अपनी पेशवाई निकालेगा। आव्हान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यगिरि महाराज ने बताया उनके अखाड़े की पेशवाई जुलूस भी पांडेवाला ज्वालापुर से प्रारम्भ होगा और जूना अखाड़ा मायादेवी पहुचेगा। उन्होने बताया शाही स्नान तीनों अखाड़े एक साथ ही करेगे। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया प्राचीन परम्परानुसार शाही स्नान तीनो अखाड़े मिलकर एक ही समय में करते है।मेला प्रशासन द्वारा अखाड़ो के लिए समय सीमा निश्चित की जाती है उसी समय सीमा में अखाड़ो को स्नान कर अपनी छावनी में वापिस लौटना होता है। परम्परा के अनुसार जूना अखाड़ा सबसे आगे रहता है, उसके पीछे आव्हान अखाड़ा तथा उसके पीछे अग्नि अखाड़ा स्नान करता है। इस बार पहली बार इन अखाड़ो के अतिरिक्त किन्नर अखाड़ा तथा दण्डी स्वामी भी जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान करेगे।
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