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धर्म नगरी में अष्टमी पर घर घर हुआ कन्या पूजन। भक्तों ने हलवा, पूरी, चने अन्य पकवान बना कर कंजक को लगाया भोग।

वासु राजपूत

हरिद्वार। मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा भक्तों ने कंजक पूजन के साथ की। मंदिरों के साथ घर-घर कंजक पूजन किया गया। नवरात्र में व्रत रखने वालों ने कंजक पूजन के साथ अपने व्रत भी संपन्न किए घट (खेत्री) विसर्जन की। मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा के साथ कंजक पूजन के साथ मां दुर्गा को प्रसन्न किया जाता हैं। भक्तों ने हलवा, पूरी, चने अन्य पकवान बना कर कंजक को भोग लगाया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं कंजक को विदा करते समय विभिन्न प्रकार के उपहार भी दिए। आठवें नवरात्र पर मंदिरों में मां महागौरी की पूजा श्रद्धा के साथ हुई। कई मंदिरों में भी पूजा अर्चना करके कंजकों को भोजन करवाया गया। गली-मोहल्ले में सुबह से ही मां दुर्गा के भक्तजन कन्याओं को ढूंढ़ कर उनकी पूजा अर्चना करने में लीन दिखे। देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र के अंत में कंजक पूजन का महत्व है। इसके बिना नवरात्र व्रत अधूरा माना जाता है। कंजक पूजन के लिए दस वर्ष तक की नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। भक्तों ने पूरी, हलवा, भुने चने तैयार कर सबसे पहले मां दुर्गा को भोग लगाकर कंजकों को खिलाया। भोजन से पहले कन्याओं के पैर धोकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।

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