
मनोज सैनी
हरिद्वार। हरिद्वारवासियों ने नगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देकर आम नागरिकों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने की मांग की है। ज्ञापन में बताया गया है कि 20 दिसंबर की शाम एक नाबालिग लड़की अपने घर से लापता हो गई थी जिसकी लाश रात्रि में ही एक गारमेंट व्यापारी के गोदाम से अपराधियों की उपस्थिति में भारी पुलिस फोर्स द्वारा बरामद की गई थी। पुलिस जब घटनास्थल पर गारमेंट के गोदाम की तलाशी ले रही थी उस समय गोदाम का मालिक स्वयं उसी कमरे में मौजूद था और पुलिस को वहां पर किसी स्टेचू के रखे होने की बात कहकर पुलिस को गुमराह कर रहा था। इसी मध्य गोदाम की तलाशी ले रही पुलिस को नाबालिग लड़की की लाश दिखाई दी और लाश को कमरे से बाहर निकाला गया। उस समय भी गोदाम का मालिक मौके पर मौजूद था लेकिन पुलिस अधिकारियों सहित भारी पुलिस फोर्स की उपस्थिति में उसे किसी पुलिस अधिकारी ने हिरासत में लेने का कोई प्रयास नहीं किया। जिसका लाभ उठाकर अपराधी गोदाम मालिक मौके से फरार हो गया। जबकि उसका सहयोगी घटनास्थल पर ही मौजूद था जिसे बाद में पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया। पुलिस अधिकारियों सहित भारी पुलिस की मौजूदगी में अपराधी का इतनी आसानी से मौके से फरार हो जाना पुलिस पर शंका करने का पर्याप्त कारण माना जा रहा है। यदि पुलिस अधिकारी सजग होते तो अपराधी का इतनी आसानी से फरार होने का कोई कारण नहीं बनता था। घटना स्थल पर उपस्थित सैकड़ों लोगों की भीड़ यह देखकर अचंभित थी कि पुलिस ने मौके पर मौजूद गोदाम मालिक को न पकड़ कर उसे भागने का पूरा मौका दिया। जिस कारण लोगों में पुलिस के खिलाफ गुस्सा उत्पन्न हो गया जो धीरे-धीरे बढ़ता गया। पुलिस की कार्यशैली से आक्रोशित आम नागरिक अपनी नाराजगी का प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतरे जिसमें किसी भी आम नागरिक का इरादा सड़क को जाम करने का नहीं था। आक्रोशित आम नागरिक द्वारा पुलिस के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शन को पुलिस अधिकारियों द्वारा अनावश्यक रूप से तूल देते हुए बदले की भावना से प्रेरित होकर उनके के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए गये जिसे किसी भी प्रकार से न्याय संगत ठहराना विधि के विरुद्ध होगा। ज्ञापन में आगे लिखा गया कि आक्रोशित भीड़ किसी प्रकार हिंसक नहीं थी और ना ही उसके द्वारा किसी निजी व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। आक्रोशित भीड़ पूर्ण शांतिपूर्ण थी।
ज्ञापन में बताया गया है कि विचारणीय विषय यह है कि दोनों अपराधियों की मौके पर मौजूदगी होते हुए भी एक अपराधी को पकड़ लेना और दूसरे प्रदीप को मौके से जाने देना पुलिस की कार्यशैली को प्रदर्शित करता है। कोई भी सामान्य व्यक्ति ऐसी स्थिति में अपराधी को मौके से जाने देने को कैसे सही ठहरा सकता है लेकिन सत्य यही है कि एक शातिर अपराधी मौके से फरार हुआ जिससे आम नागरिकों में आक्रोश उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इसी कारण आम नागरिक सड़क पर उतर कर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहा था। जो पूर्णतया लोकतांत्रिक, न्याय संगत, विधि सम्मत और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध के अधिकार के अंतर्गत था। आम नागरिकों द्वारा अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता नहीं की गई है। प्रकरण में आम नागरिकों पर अनावश्यक रूप से वैमनस्य के कारण दायर किए गए मुकदमे जनता पुलिस प्रशासन और सरकार के बीच आपसी कटुता को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे तीर्थ नगरी हरिद्वार में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होने की आशंका बढ़ गई है। कुंभ जैसे महापर्व पर ऐसी स्थिति न तो सरकार के पक्ष में है और ना ही आम नागरिक के हित में है। इसलिए तीर्थ नगरी में शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने हेतु आम नागरिकों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के आदेश देने की कृपा करें जिससे आम नागरिक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके और पुलिस प्रशासन कुंभ मेले की अपनी तैयारियों की तरफ ध्यान दे सकें।
ज्ञापन देने वालों में पंडित अधीर कौशिक, राजेंद्र बालियान, अश्वनी कुमार, तरुण व्यास, विनोद प्रसाद शास्त्री, नरेश जैनर, ओमवीर सिंह, राकेश अग्रवाल, सुरेश जैन, सीपी राठौर, गिरीश भारद्वाज, दीपक शर्मा, विनोद मिश्रा, मनोज मेहता, ओम प्रकाश चौधरी, पवन कृष्ण शास्त्री, आकाश भाटी, रवि बाबू शर्मा, सोमपाल, अभी चौधरी, नरेश कुमार, जेपी बडोनी, राहुल कुमार, डॉ राम कुमार, गौरव कुमार, मनोज कुमार मिश्रा प्रमुख है।
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