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पढिये आखिर वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल ने क्यों लिखा कि “लंपटों की सरकार ने कुछ नहीं किया”

रतनमणी डोभाल

रोजी-रोटी की राजनीति को धर्म की गूंगी-बहरी राजनीति कर सत्ता पर काबिज लंपटों ने उस मूर्ख जनता की जीवन रक्षा के लिए भी बीते एक साल में कुछ नहीं किया जो अस्पताल में बैड नहीं मिलने, आक्सीजन नहीं मिलने, वैक्सीन नहीं मिलने, सूचना देने के बाद भी टेस्टिंग नहीं करने, सैंपल लिया तो रिपोर्ट नहीं आने, अस्पताल तक जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलने तथा अपने प्रियजन को खोने के बाद भी उन्हें कसूरवार नहीं मानते हैं।

यही तो है धर्म के अफीम का नशा। जब तक आप नशें में हैं वह सुरक्षित है इसलिए वह हर दिन नशा तलाशते रहते हैं। जैसे एक नशा उतरने लगता है।एक नया दे देते हैं इस बार इसको अजमा लो। बस आप नशें में रहना शुरू कर देते हैं और लंपट सत्ता आनंद से सोई रहती है।

लंपटों की पार्टी के एक सांसद ने पहले यूपी के अफीमची जोगी को चिट्ठी लिखी कुछ करो महाराज गाजियाबाद में उनके भक्तों की स्थिति खराब है। अस्पतालो में बैड नहीं है, आक्सीजन नहीं, वेंटिलेटर नहीं है कुछ करो महाराज पर सांसद की भी सुनवाई नहीं हुई। सांसद ने फिर गाजियाबाद के सांसद एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा कि गाजियाबाद को सेना के हवाले कर दो पर कुछ नहीं हुआ।

अब श्मशान में न जगह है और न लकड़ी है। नंबर लगाने के लिए टोकन दिए जाने की ख़बरें भी हैं। लंपटों की सरकार गुनाह छिपाने के लिए लाशों को छिपा रही है।

अपना तो राज्य ही ऐसा जिसको इन्सानों का नहीं देवताओं का राज्य के कहा जाता है। लोग मर रहे हैं और देवता लंपटों के आगे भी बेबस हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जनवरी 2020 में चेता दिया था कि कोविड-19 लाइलाज हैं और संक्रमित हैं। इसकी कोई अचुक दवा नहीं है।यह भी बताया दिया था कि कोविड-19 का दूसरा व तीसरा भी आएगा और हर चरण के सिम्टम्स भी अलग अलग होंगे।

इस चेतावनी के बाद भी एक साल में लंपटों और उनकी सरकार ने जीवन बचाने के लिए कोई सावधानी तथा उपाय नहीं किए गए हैं। लंपटों ने लाइलाज़ महामारी से अधिक महत्त्व कुंभ के आयोजन को दिया और धर्म के नशें में चूर होने के लिए लोगों को न केवल आमंत्रित किया बल्कि हेलिकॉप्टर से नंगों, जोगियों पर फूल बरसाने तक की व्यवस्था की।

जनवरी 2020 में नगर निगम से 500 बैड का कोविड हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन ली गई। डेढ़ महीने में तैयार करने की घोषणा की गई। लेकिन एक साल बाद भी एक ईंट नहीं रखी गई। इसके विपरीत लगभग सात करोड़ रुपए कुंभ के लिए पॉलिथीन की हॉस्पिटल बनाने में जाया किया गया। इतने में तो हॉस्पिटल के लिए चयनित भूमि पर लेंटर डाल कर बैड लगाए जा सकता था। लेकिन यह तब होता जब लोगों के जीवन की कोई कीमत होती।

न ट्रेसिंग हो रहा है, न टेस्टिंग न क्वारंटीन न परोपर आइसोलेशन। लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है इसलिए कि वह नशें में हैं और जब तक नशा है तब तक कोई खतरा नहीं, ज्यादा हुआ तो मदारी बदल देंगे।

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