Apne log news

No.1 news portal of Uttarakhand

पढिये आखिर हरीश रावत ने क्यों कहा कि हमारे बच्चों ने भी हमें निराश नहीं किया

मनोज सैनी

देहरादून। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री ने नर्सिंग के छात्रों के बारे में बताते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ओर लिखा है कि बड़ी लंबी प्रतीक्षा के बाद #उत्तराखंड में बमुश्किल नर्सिंग के कुछ पद भरे जाने का समाचार आया। हमारे राज्य में हमने #नर्सिंग के कॉलेजज खोलने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और हमारे बच्चों ने भी हमें निराश नहीं किया, कोरोना महामारी के दौरान यही बच्चे थे जो ट्रेनिंग्स थे, जिन लोगों ने अच्छा काम किया। मगर जब सरकार ने पदों का विज्ञापन जारी किया, तो एक शर्त नीचे लगा दी कि जिन लोगों ने 30 बैड के हॉस्पिटल में 1 साल तक काम किया है, वही लोग इसके लिये आवेदन कर सकेंगे। इसका स्पष्ट अर्थ है कि No उत्तराखंडी और उत्तराखंड के 8 जिले तो पूरी तरीके से आउट ऑफ बांड हो जाएंगे। वहां जो बच्चे नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रहे हैं, उनके लिये आगे कोई संभावना नहीं रहेगी और बाकी 4 जिलों में भी कुछ ही हॉस्पिटल हैं जिनमें 30 बैड व उसके ऊपर के, इससे उत्तराखंड के जो अभ्यार्थी हैं वो बहुत कम निकल पाएंगे, क्योंकि नर्सिंग जैसे पदों पर भी फिर वही समस्या पैदा होगी कि दूर कहीं त्रिजुगीनारायण में नर्स की जरूरत होगी और जिनकी छटनी होगी यहां, जिसकी नौकरी लगेगी वो त्रिजुगीनारायण जाने से ही बीमार पड़ जाएंगे, तो बीमार देखना तो एक तरफ रहा। यह पता नहीं कौन हैं! जिन्होंने यह शर्त लगा लगवाई है और नर्सिंग काउंसलिंग का बहाना लेकर के यह शर्त लगाई गई है और यह शर्त मानने का अर्थ है कि भविष्य में भी हमारे बच्चों के लिये संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। राज्य सरकार को यदि ऐसी कोई शर्त है तो उसको बिल्कुल नहीं मानना चाहिये और इस पर उच्च स्तर पर बातचीत करनी चाहिये और कोई वैकल्पिक रास्ता निकालना चाहिये, यदि ट्रेनिंग अनिवार्य है और #सरकार अपने खर्चे पर भी ट्रेनिंग करवा सकती है, हमारे उत्तराखंड के बच्चे कहां जायेंगे? यदि शिक्षा हमने दी और नौकरी कौन उनको देगा?
Trivendra Singh Rawat

Share
error: Content is protected !!