
प्रभुपाल सिंह रावत
कोटद्वार। सरकार लाख दावे व घोषणा कर ले लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत आज किसी से छुपी नहीं है। ऐसा ही एक वाक्या सामने आया है कि रिखणीखाल प्रखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बसे गांव बराई धूरा की है, जहां गांव के एक निर्धन व गरीब परिवार की श्रीमती पूजा रावत पत्नी अशोक रावत का प्रसव होना था जिसे बेस अस्पताल कोटद्वार में प्रसव कराने के लिए ले गये लेकिन मानवता की सारी हदों को पार करते हुए वहां के चिकित्सकों ने सफल प्रसव कराने को साफ मना कर दिया। आनन फानन में प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को प्राइवेट अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ा, जहां उसकी सफल सर्जरी करायी गयी। ईश्वर की कृपा से दोनों जच्चा बच्चा कुशल व स्वस्थ हैं लेकिन एक गरीब परिवार को 35,000/- (पैंतीस हजार) का आर्थिक बोझ किसी तरह कर्ज लेकर चुकाना भारी पड़ा।
अब बताइये कहां गया 5 लाख का आयुष्मान कार्ड, कहां गयी सरकार की अनेक लोकप्रिय घोषणायें जो इस मुसीबत में भी काम नहीं आयी। जो लगातार दम तोड़ती जा रही हैं। विज्ञापन, बड़े बड़े पोस्टर,भाषणबाजी, अखबारों में रोज उपलब्धियां गिनाई जाती है लेकिन धरातल से सब गायब हैं। सरकार कहती है कि सन 2025 तक हम उत्तराखंड राज्य को देश का नम्बर एक राज्य बनायेगे। ऐसे में कैसे बनेगा? बेस अस्पताल कोटद्वार जनपद गढ़वाल के रिखणीखाल, जयहरीखाल, नैनीडान्डा, द्वारीखाल, यमकेश्वर, दुगड्डा, कल्जीखाल, बीरोखाल, पोखडा आदि विकास खंडों का प्रमुख अस्पताल है। रिखणीखाल में भी विश्व विख्यात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन वहां पर भी स्वास्थ्य सेवाये चाक-चौबंद नहीं है जैसा कि कयी बार सुर्खियों में देखा गया है। स्थानीय जनता का कहना है कि अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवायें दुरुस्त करे या अनाप-शनाप घोषणाएं न करें।इससे आम जनमानस भ्रमित हो रहा है।
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