
मनोज सैनी
हरिद्वार। मोदी सरकार एक के बाद एक बैंकों का विलय करती जा रही है लेकिन इन बैंकों के विलयों से बैंक ग्राहकों को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है। आपको बताते चलें कि जब से मोदी सरकार आयी है एक के बाद एक ऐसे निर्णय ले रही है जिससे आमजन परेशान हो रहा है। चाहे नोटबन्दी हो या जीएसटी या फिर बैंकों का विलय। मोदी सरकार के निर्णयों से भले ही देश व जनता को कोई लाभ न मिला हो लेकिन इन एक तरफा निर्णयों से आमजन को भारी परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ रहा है। दिल्ली में ऐसी में बैठकर एक तरफा निर्णय लेना बड़ा आसान है लेकिन धरातल पर उन एक तरफा निर्णयों से आमजन कितना परेशान होता है। शायद इसका अंदाजा सरकारों को नहीं होता। वर्तमान में देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय का कार्य प्रगति पर है लेकिन देना बैंक के उपभोक्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिन लोगो का नैट बैंकिंग के माध्यम से अलग अलग जगह से भुगतान आना था उनका खाता नंबर व आईएफएससी कोड बदलने के कारण पैसा नहीं आ पा रहा है। यदि ग्राहक ने किसी को देना बैंक का चेक दिया हुआ है तो उसका चैक क्लियर नहीं हो पा रहा है। बैंक में जाने पर मालूम चलता है कि तीन दिन बाद बैंक खुला था लेकिन बैंक का नेट ही नहीं चल रहा है जिससे दाद में और खाज पैदा होने जैसा अहसास होता है। यदि किसी ग्राहक को अपने खाते से पैसा निकालना है तो नेट न चलने से उसका पैसा नहीं निकल रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी उन ग्राहकों को हो रही है जिनका पैसा नेट बैंकिंग के जरिए बाहर से आना था लेकिन ग्राहक का खाता नंबर व शाखा का आईएफएससी कोड चेंज होने से ग्राहक का पैसा नहीं आ पा रहा है जिससे उसे भारी आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
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