मनोज सैनी
याद कीजिये कैसे भाजपा ने अपने समर्थकों अन्ना हजारे, व्यापारी रामदेव आदि के साथ मिलकर यूपीए सरकार पर भ्रष्टाचार, विदेशों में जमा कालाधन वापिस लाना, लोकपाल, पाकिस्तान, चीन, बेरोजगारी, महंगाई, डॉलर, पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम, किसानों की समस्याएं, आतंकवाद आदि को लेकर हल्ला बोला था जिसमें बिकाऊ मीडिया ने भी भाजपा का भरपूर सहयोग दिया था। उस समय एक नारा “अच्छे दिन आने वाले हैं” बड़े जोर शोर से देशवासियों के बीच काफी लोकप्रिय भी हुआ था और मोदी जी अपनी सभाओं में देशवासियों को जुमले पर जुमले बेच रहे थे। भोलेभाले देशवासियों ने भी जिनमे महिलाएं, पुरुष, युवा सब मोदी जी पर विश्वास कर उन्हें 2014 में देश की सत्ता सौंप दी थी।
सत्ता में आते ही मोदी जी ने चुनाव में जनता से किया गए वादों के विपरीत 2016 में नोटबन्दी उसके बाद जीएसटी लाकर देश की अर्थव्यवस्था की अर्थव्यवस्था और व्यापार का भट्ठा बैठा दिया अब रही सही कसर लॉक डाउन ने पूरी कर दी। अब मोदी जी कृषि कानून बनाकर किसानों की कमर तोड़ दी जिसके नतीजा यह है कि कृषि प्रधान राज्यों में नये कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार का विरोध जारी है। इतना ही नहीं कृषि कानून के खिलाफ भाजपा के सुख दुख के साथी रहे शिरोमणि अकाली दल ने भी अपना नाता तोड़ लिया है। इससे पहले शिव सेना ने भी भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था।
अब बात करते हैं देश के युवाओं की तो 2014 में जो नौकरी पेशा युवा मोदी जी के जुमलों पर जोश से भरा था और भाजपा का झंडा व डंडा लिये सड़कों पर मोदी जी के समर्थन में प्रचार व प्रसार कर रहा था आज वही युवा मोदी जी व मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। दिलचस्प बात ये है कि जिस नौजवान के पास 2014 में नौकरी व रोजगार था मोदी सरकार में अब वह बेरोजगार हो गया है। रुड़की के सलेमपुर राजपूतान निवासी अरुण सैनी व झबरेड़ा निवासी चौधरी संजीव सैनी जिन्होंने 2014 के आम चुनाव में मोदी जी के जुमलों या यूं कहें भ्रम जाल में फंसकर बड़े जोश खरोश से मोदी व भाजपा का झण्डा व डण्डा उठाया था समय के साथ साथ उन्हें हकीकत मालूम होती चली गयी और आज हालात ये हैं कि उन्होंने भाजपा को टाटा बाय बाय कहकर अपना रास्ता बदल लिया है।
2014 के बाद जहां अरुण सैनी की नौकरी चली गयी वहीं संजीव सैनी किसानों की समस्याओं के चलते भारतीय किसान यूनियन में चले गए। भाजपा व मोदी सरकार का विरोध इन्होंने अपने सोशल मीडिया अकॉउंट पर डाला है जिसमें इन्होंने अपनी पीड़ा भी व्यक्त की है। ऐसे ही हजारों युवा अब मोदी जी की जुमलेबाजी को समझ चुके हैं। इसी प्रकार की कहानी रावली महदूद के पंकज, सुदेश शेरपुर के सुनील, बबलू फेरूपुर के पंकज आदि हजारों युवाओं की है। किसान की हालत भी कुछ ऐसी ही है कल तक जो मोदी जी का गुणगान करते नहीं थकते थे आज वे मोदी जी का विरोध करते नजर आ रहे हैं। कहते हैं काठ की हांडी ज्यादा दिन नहीं चलती। वही हाल आज मोदी जी का हो रहा है।
ग्राउंड जीरो पर जाने से मालूम होता है कि अब देश का युवा, किसान, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी मोदी सरकार की असलियत जान चुका है। युवाओं, मजदूर, व्यापारियों, कर्मचारियों व किसानों का कहना है कि मोदी सरकार की नीतियां उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाली है न कि देश के गरीब, मजदूर, व्यापारी व किसान के हितों के लिये।
बसपा से भाजपा में आये कुछ बड़े नेताओं ने बातचीत में बताया कि भाजपा को मालूम है कि जब जनता हिन्दू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान के नाम पर वोट दे देती है तो उन्हें धरातल पर जनहित के काम करने की क्या जरूरत है। बीते 6 सालों से ऐसा देश में यही हाल दिखाई दे रहा है। सरकार को न नौजवान की चिंता है, न किसान की, न रोजागर की, न कर्मचारियों की, न महिलाओं की सुरक्षा की। उन्हें चिंता है बस अपनी सत्ता को बचाये रखने की। इसके लिये वे किसी भी हद तक जाने के लिये तैयार है।
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