
मनोज सैनी
हरिद्वार। तहसील हरिद्वार में तहसीलदार, कानूनगों प्रकरण में तहसील अधिवक्ता एसोसिएशन (रजि0), हरिद्वार भी अब सेवानिवृत्त लेखपाल के समर्थन में आ गया हैं। तहसील अधिवक्ता एसोसिएशन ने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, व जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र प्रेषित करते हुए लिखा है कि अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगों के पद पर तहसील हरिद्वार में पिछले 5 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत है तथा इससे पूर्व लेखपाल रहते हुए भी अधिकतर समय तहसील हरिद्वार में ही कार्यरत रहे है।
बिजेन्द्र कुमार को 34 / 35 भुराजस्व अधिनियम 1901 के तहत दाखिल-खारिज की पत्रावली की जो पत्रावली दी जाती है तो उन पर डेड-दो माह बाद तक भी कोई कार्यवाही नही होती है। जब भी पत्रावली की जानकारी प्राप्त की जाती है तब अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार द्वारा कोई भी उचित जानकारी नहीं दी जाती है। यह एक ऐसा प्रकरण है कि किसी वादकारी को अपनी सम्पत्ति पर लोन लेना होता है किसी वादकारी को अपनी सम्पत्ति को विक्रय करना होता है, आदि अनेक कार्य करने होते है लेकिन तहसील हरिद्वार में केवल इन्ही का राज चलता है। इस कारण वादकारियो को आये दिन अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दाखिल-खारिज की प्रत्येक पत्रावली में 1% का सुविधा शूल्क की मांग की जाती है, न देने में अनावश्यक विलम्ब किया जाता है। जब इसकी शिकायत तहसीलदार हरिद्वार से की जाती है तब तहसीलदार हरिद्वार एक ही जवाब देती है कि अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो से मिल लो। होता कुछ नहीं है तथा अभद्र व्यवहार करते है।
दिनांक 11 अक्टूबर को बार सदस्य श्री चरणसिंह सैनी के साथ बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानूनगो व अमरीश कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो द्वारा गाली गाली गलोच की गयी तथा जान से मारने की धमकी दी गयी। तथा दिनांक 30 अक्टूबर को बार सदस्य लक्ष्मीदीप आनन्द से अमरीश कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। जो अत्यन्त खेद का विषय है। अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो अपने कलम से कोई काम नहीं करते है तमाम रजिस्ट्रार कानुगो के पदेन कार्य प्राईवेट लड़के/लडकियो द्वारा अपनी हैण्डराईटिंग में किये जाते है। भुराजस्व अधिनियम 1901 की धारा 34 / 35 में नाम परिवर्तन की जो पत्रावली भूलेख नियमावली के पैरा 254 के तहतं प्राप्त होती है उन प्रत्येक पत्रावली को नाम परिवर्तन विषयक मिसिलबन्द रजिस्ट्रर (आकार पत्र र-5 क) में दर्ज किया जाता है, तत्पश्चात सम्बन्धित पक्षो को उदघोषणा (Proclamation) जारी की जाती है तदोपरान्त पत्रावली स्वीकृती के उपरान्त नामान्तरण पंजी (आकार पत्र र-6) में उसका अमलदरामद किया जाता है। ये समस्त कार्य सम्बन्धित रजिस्ट्रार कानुगो को अपने हैण्डराईटिंग में करने होते है लेकिन इनमें से कोई भी कार्य अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो द्वारा अपने हैण्डराईटिंग में नहीं किये जाते है। ये सारे शासकीय कार्य प्राईवेट लडके/लडकियो द्वारा अपने हैण्डराईटिंग में किये जाते है तथा उनको किस मद से पारितोषिक दिया जाता है। इससे स्वतः है स्पष्ट हो जाता है कि तहसील हरिद्वार में कितना भ्रष्टाचार है। वे सब प्राईवेट लडके अप्रशिक्षित (untrained) है इस कारण राजस्व पंजिकाओं में बहुत सी गलतिया (Error) रह जाती है। जो Land Record manual का खुल्लम-खुल्ला उलघंन है तथा भ्रष्टाचार का द्योतक है। इसकी शिकायत कई बार मौखिक रूप से तहसीलदार श्रीमती शालिनी मौर्य की की गयी लेकिन उन्होंने अनसुना कर इनका भरपूर सहयोग किया जा रहा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब उनकी सहमति से ही हो रहा है।
तहसील हरिद्वार में आज से अधिक भ्रष्टाचार कभी नहीं रहा है। इस कारण उपरोक्त प्रश्नगत प्रकरण में तहसील अधिवक्ता एसोसिएशन (रजि0), हरिद्वार द्वारा मांग की गई है कि अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो के साथ-साथ तहसीलदार हरिद्वार का स्थानान्तरण अन्यत्र तहसील में करके उच्च स्तरिय जॉच कराकर दोषियों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाये।
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