
प्रभुपाल सिंह रावत
रिखणीखाल। प्रखण्ड रिखणीखाल के अन्तर्गत कोटद्वार-रथुवाढाब-धुमाकोट मार्ग हो चाहे बंजादेवी – दियोड़ – पाणीसैंण- मैंदणीसारी या फिर सौलीखांद -तिमलसैण- चपडे़त मार्ग हाल ही में लगभग विगत पांच वर्षीय अनुबन्धों के तहत अनुरक्षण कार्य सम्बंधित निविदा कारक की जिम्मेदारी होती है कि बरसाती तेज धाराओं के प्रवाह को रोकने, पानी को पाटने हेतु स्कवर व नाली निर्माण, सुरक्षा पिल्लर झाड़ी कटान आदि समय समय पर हो सके लेकिन बडे़ ठेकेदारों का सत्ता सीनों या रसूखदारों से ताल्लुकात के चलते कौन कहाँ किसकी सुनता है। जिसका खामियाजा आमजनता या वाहन स्वामियों की अकाल मृत्यु, दुर्घटना के रूप में भुगतना पड़ रहा है। यदि वाहन स्वामी के पास वाहन चलाते समय किसी कागज की कोई कमी रह गयी तो पुलिस प्रशासन हो या यातायात परिवहन विभाग अपनी मर्जी से भी दंड देने में नहीं चूकता। तब कतिपय धाराओं का भय व्यक्ति को उलझनों के फेर में न जा ले देकर इतिश्री करता है। मगर ऐसा कब तक चलता रहेगा..?
चुनाव के नजदीक आते ही सबको सब अपने लगने लगते हैं लेकिन पिछले और होने वाले चुनाव के बीच लोगों को क्या यातनाएं भुगतनी पड़ी.. किसे परवाह.. जब अकस्मात घटना घट जाती है तो फोटो खिंचवाने जरूर पहुंचेंगे। मगर जनता के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर लगातार चलने की किसी को जरूरत नहीं! सभी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ तक सीमित रह जाते हैं.. इसमें चाहे पंचायत प्रतिनिधि हों या विधायक सांसद..! सब तंत्र की फिरकापरस्ती के गोल खाताधारी बन जाते हैं!
दुगड्डा.. से आगे सेंधीखाल से हल्दूखाल तक तथा दियोड़ से गाड़ियूं, सौलीखांद से पीपलचौड़ तक सड़कों का जो हाल है किसी से छिपा नहीं है। कतिपय लोगों ने तो निजी वाहन चलाने ही छोड़ दिये। आवाज विरोध में उठती भी रहीं मगर तंत्र के रौबदार सलीके दबा देने को सफल हो ही जाते हैं। अंग्रेजी शासन काल में बनी कोटद्वार मैदावन मार्ग की सन् साठ के दशक की याद आती है कि इससे बढ़िया तो रौखड़ के रास्ते का सफर आनंददायी था। बस भी आज चली तो वापसी कल होती। उक्त सड़कों के सुधारीकरण, डामरीकरण हेतु क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी ने मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड व क्षेत्रीय विधायक और जिलाधिकारी पौड़ी को पत्र लिखकर भेजा है। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़ी दुर्घटनाओं की आशंका के पूर्व सड़कों की समस्या का शीघ्र निस्तारण किया जाये या तो इन सड़कों पर चल रहे वाहनों के यातायात शुल्क न लिया जाए। अपने वक्तव्य में उन्होंने इसे गम्भीर समस्या बताते हुए शासन प्रशासन की कार्यशैली व हीलाहवाली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया तथा वर्षों पुरानी सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग में तब्दील हो रही कोटद्वार मैदावन मार्ग सबसे सुगम व वन क्षेत्र से लगा है के सुधारीकरण में किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। जहाँ केंद्र सरकार हर गांव सड़क से जोड़ने पर बल दे रही है वहीं पार्क के अंदर बसे वन कानूनों और विकास बनाम विस्थापन का दंश झेल रहे ग्राम तैड़िया – पांड गाँव को भी यातायात से जोड़ना निहायत जरूरी है।
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