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विशेष: जो बाहरी दलबदलू नेता देता था गालियां, अब उसे ही अपनी गोद में बिठाने जा रहे हैं हरदा, आखिर डील क्या है?

मनोज सैनी
हरिद्वार। आगामी 5 राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव में दलबदलू स्वार्थी नेताओं की उछल कूद जारी है। ये दलबदलू नेता अपने निजी स्वार्थ और भविष्य की राजनीति को जिंदा रखने के लिये दलबदल कर रहे हैं। इस उछलकूद में उत्तराखंड के ही नहीं अब उत्तर प्रदेश के आयातित नेता भी शामिल हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला अब उत्तर प्रदेश के एमएलसी साहब सिंह सैनी का देखने को मिल रहा है, साहब सिंह सैनी पिछले तीन- चार महीनों से उत्तराखंड कांग्रेस में शामिल होने के लिये तरह तरह के हथकंडे अपना रहे है। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि जब उत्तराखंड कांग्रेस की कमान प्रीतम सिंह के हाथ में थी तभी से साहब सिंह सैनी कांग्रेस का हाथ थामने के लिये पूरी जी जान लगा रहे थे, मगर प्रीतम सिंह, साहब सिंह सैनी के राजनीतिक चरित्र व इतिहास अच्छी तरह जानते थे और उन्होंने साहब सिंह की पैरवी कर रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को दो टूक जवाब दे दिया था कि साहब सिंह कांग्रेस को कांग्रेस में शामिल नहीं करूँगा। इतना ही नहीं उन दिनों साहब सिंह सैनी ने हरिद्वार में जगह जगह आश्रम हो या कोई अन्य जगह बैठकर वरिष्ठ कांग्रेसियों के सामने बैठकर हरीश रावत को बुरी बुरी गालियों से नवाजते हुए उनके बारे में ऐसे अपशब्दों का प्रयोग किया था जिसे यहां लिखा भी नहीं जा सकता।

अब जब से प्रदेश कांग्रेस की कमान गणेश गोदियाल व चुनाव संचालन की कमान हरीश रावत के हाथ में आई है तभी से साहब सिंह सैनी ने पाला बदला और हरीश रावत का गुणगान करने में लग गये। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी लगी है कि हरीश रावत और गणेश गोदियाल साहब सिंह सैनी के राजनीतिक चरित्र व इतिहास को जानते हुए भी आगामी एक दो दिनों में कांग्रेस में शामिल करने वाले हैं। साहब सिंह को कांग्रेस में शामिल करवाने हेतु पर्दे के पीछे हरिद्वार से पार्टी प्रत्याशी की दौड़ में लगा एक नेता, हरीश रावत के सुपुत्र का हाथ माना जा रहा है। इतना ही नहीं वर्षों से कांग्रेस की सेवा कर रहे नेताओं व कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि साहब सिंह सैनी को कांग्रेस में शामिल करने हेतु हरीश रावत व अन्य में मोटी डील हुई है। वर्षों से कांग्रेस की सेवा करने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं की बात में दम भी लग रहा है क्योंकि जिस व्यक्ति के इतिहास और राजनीतिक चरित्र के बारे में जानते हुए भी उसे पार्टी में शामिल कराना कोई अन्दर खाने की डील से ही सम्भव है। वैसे भी इस तरह की डील के आरोप हरीश रावत पर पहले भी लग चुके हैं। अब असलियत क्या है ये तो स्वयं हरीश रावत ही जानते होंगे! हां इतना जरूर है कि जो व्यक्ति बर्षो पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर बुरी तरह हर गया था और हारने के बाद सहारनपुर जाकर सपा में शामिल हो गया था, जिसका राजनीतिक इतिहास दलबदल से भरा पड़ा है, इतना ही नहीं पुराने कांग्रेसियों में बताया कि साहब सिंह सैनी सहारनपुर का कांग्रेस कार्यालय भी बेचकर खा गया था, जिसे सहारनपुर के लोगों ने पूछना छोड़ दिया ऐसे बाहरी स्वार्थी नेता को उत्तराखंड कांग्रेस में शामिल करके आखिर हरीश रावत पार्टी को किस दिशा में ले जाना चाहते है। जबकि साहब सिंह सैनी के राजनीतिक चरित्र के बारे में हरिद्वार का सैनी समाज भी अच्छी तरह से जानता है और इसलिये उसके साथ खड़ा होना भी पसंद नहीं करता। हरिद्वार में कांग्रेस से जुड़े सैनी नेताओं का कहना है कि यदि हरीश रावत साहब सिंह सैनी को कांग्रेस में शामिल करते हैं तो हरिद्वार का सैनी समाज कांग्रेस पार्टी का बहिष्कार कर सकता है और यदि ऐसा हुआ तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगने की संभावना है।

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