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शर्म करो सरकार व जिला प्रशासन: सरकार व जिला प्रशासन की संवेदनहीनता के चलते सड़क पर रात बिताने को मजबूर महिलाएं और छोटे छोटे बच्चे

मनोज सैनी

हरिद्वार। किसी भी चुनाव से पूर्व नेता गरीब, मजदूर व किसानों को लेकर बड़े बड़े दावे व वादे करते हैं। मगर जब सत्ता में आते है तो वहीं नेता किये गए दावे और वादे तो बात दूर देखना और इनकी समस्याओं पर बात करना भी पसन्द नहीं करते। बात करते हैं सत्यम ऑटो कम्पनी से 4 साल पहले गैरकानूनी तरीके से निकाले गए कर्मचारियों की तो ये मजबूर कर्मचारी कम्पनी में अपनी बहाली व अन्य जायज मांगों को लेकर हर उस दरवाजे पर गये जो इनके लिये कुछ कर सकते थे मगर वह नेता ही क्या जो गरीब मजलूमों की बात सुने।

इन गरीब मजदूरों का कहना है कि वह स्थानीय सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री, मंत्री, शासन में बैठे अधिकारियों, जनपद के आलाधिकारियों को अपनी फरियाद लगा चुके है मगर हर जगह से मायूसी ही हाथ लगी है। आखिरकार थक हारकर इन 300 कर्मचारियों व इनके परिवारजनों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का रास्ता अपनाया। लगभग 22 दिनों से आन्दोलित कर्मचारी व उनके परिवार की किसी भी सत्ताधारी मंत्री, विधायक, सांसद, अधिकारी ने कोई सुध नहीं ली। इसके बाद ये सभी कर्मचारी और इनके परिजन सत्यम ऑटो कम्पनी के बाहर धरने पर बैठ गये लेकिन इनकी समस्यायों को फिर भी जिला प्रशासन ने अनदेखा करते हुए पूरी रात लाइट, पानी से मरहूम रखा। इतना ही नहीं महिलाओं के लिये शौचालय तक कि कोई व्यवस्था नहीं की। पूरी रात महिलाएं और बच्चे सड़क पर रात बिताने को मजबूर हो गए। अभी अभी खबर मिली है कि धरने ओर बैठे कर्मचारियों और उनके परिजनों को पुलिस बल ने चारों तरफ से घेर लिया है और कर्मचारियों व उनके परिजनों का आरोप है कि पुलिस व जिला प्रशासन उन पर धरने को समाप्त करने का दबाव बना रहा है। धरना स्थल की बिजली भी गुल करवा दी गयी है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि सरकार और जिला प्रशासन की संवेदनहीनता के चलते महिलायें और छोटे छोटे बच्चे सिडकुल की सड़क पर रात बिताने को मजबूर है। शर्म आती है ऐसी सरकारों पर और ऐसे जिला व पुलिस प्रशासन पर जिनमें जरा सी भी इंसानियत नहीं है। भगवान न करे कि किसी भी परिवार की महिलाओं और बच्चो को सड़क पर रात बितानी पड़े। प्रदेश के मुखिया आज हरिद्वार दौरे पर थे और उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष व कई मंत्री भी थे लेकिन किसी ने भी इनके पास आने तक कि जहमत नहीं उठाई। क्या करें ऐसी संवेदन हीन सरकार का जो चुनाव से पूर्व तो गरीब, मजदूर की बात करती है लेकिन सत्ता में आने के बाद इनकी तरफ देखती भी नहीं है।

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