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सरकारी कार्य में राशनकार्ड दस्तावेज की अनिवार्यता खत्म हो

प्रभुपाल सिंह रावत
रिखणीखाल। रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम कोटडी छन्नी निवासी देवेश आदमी का कहना है कि श्री शंकर कुकुड पालन उद्यान, कोटडी छन्नी एक पंजीकृत संस्था है जो शंकर इंटरप्राइजेज के अधीन है। इसका रजिस्ट्रेशन तीन वर्ष पूर्व हुआ था, जिससे हमें अनेक सरकारी योजनाएं भी मिलती हैं।

सरकारी नियमों के अनुसार जिसका मुर्गीपालन का व्यवसाय है वह राशनकार्ड का हकदार नहीं होगा। अब इस हालत में मैं इस राशनकार्ड के दौड़ से बाहर हो गया हूँ या तो मुझे अपना रोजगार का धन्धा मुर्गीपालन आदि बन्द करना होगा या राशनकार्ड जमा करना होगा। सरकार चाहती क्या है जो निकम्मा, निठल्ला, जाहिल, आवारा, बेघर होगा उसी को राशन मिलेगा। उस नजरिये से तो उत्तराखंड में केवल रोहिण्या ही राशनकार्ड के योग्य पात्र हैं। मेरे पास निम्न सब कुछ है जो सरकार कहती है।
बिजली का मीटर, दो पहिया वाहन, मुर्गी पालन, पक्का मकान, गाय-बच्छी, बकरी, बत्तख, सरकारी ठेकेदारी का लाइसेंस।

सरकार के मुताबिक मै आवारा, निकम्मा रहूँ, तब मेरे बारे में सोचा जायेगा। फ्री में राशन हमें नहीं चाहिए, परन्तु सरकार यह नियम भी लागू करे कि किसी भी सरकारी कामकाज में राशनकार्ड दस्तावेज की अनिवार्यता जड़ से खत्म हो, तब हम कोई भी राशनकार्ड नहीं बनायेगे, फिर सरकार का झंझट ही खत्म रहेगा। वर्तमान राशनकार्ड धारकों को अच्छा राशन, चीनी, मिट्टी का तेल आदि अच्छी गुणवत्ता का सही व उचित दरों पर दिया जाए। सरकार ने पहले लोगों को फ्री की आदत डालकर फ्री राशन देकर पंगु व मूक-बधिर बना दिया। अब छोड़ घरबार चलो हरिद्वार वाला नारा लेकर आयी है।

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