
मनोज सैनी
हरिद्वार। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने आज हरिद्वार में एक दिवसीय दौरे के दौरान सबसे पहले हर की पौड़ी पर मां गंगा की पूजा अर्चना तर्पण कर सीतापुर रेल हादसे में मारे गए चारों युवकों को श्रद्धांजलि दी और उनकी आत्मा शांति की कामना की। इसके बाद हरीश रावत ने चारों मृतक युवकों के घर जाकर परिजनों से मिलकर सांत्वना भी दी। हरीश रावत ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार व रेलवे की गलती से चारों नौजवानों की असामयिक और निर्मम मौत हुई है यदि सरकार गलती ना करती तो चारों नौजवान आज हमारे बीच होते।
हरिद्वार कुंभ मेले को लेकर भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुंभ मेले को कुछ लोगों ने धन अर्जित करने का साधन बना लिया है। सरकार जानबूझकर कुंभ मेले कार्यों को विलंबित कर रही है ताकि आधे अधूरेे कार्यों की आड़ में माल कमाया जा सके। ऐसा करके राज्य सरकार हरिद्वार कुंभ और मां गंगा का अपमान करने का काम कर रही है। हरिद्वार दौरे के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन व किसान कानून को रद्द करने व किसानों की अन्य मांगों को लेकर जिलाधिकारी हरिद्वार को एक ज्ञापन भी सौंपा।
किसान आंदोलन को लेकर हरीश रावत ने कहा कि सरकार जानबूझकर किसानों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है। किसान आंदोलन कोई लड़ाई नहीं है इसमें हार जीत का भी कोई मतलब ही नहीं है। यह केवल लोकतंत्र की लड़ाई है लेकिन सरकार ना तो लोकतंत्र को जीतने दे रही है और ना ही किसानों की मांगों को पूरा कर रही है।
हरिद्वार दौरे के दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए हरीश रावत ने कहा कि 2017 के चुनाव में हार की जिम्मेदारी तो उन्होंने ली ही बल्कि उन्होंने उन सीटों पर भी जिम्मेदारी से इंकार नहीं किया जहाँ उनकी इच्छा के विरुद्ध कांग्रेस के प्रत्याशी को टिकट दिया गया। हरीश रावत ने कहा कि 2017 में जब मोदी की आंधी चल रही थी तब भी पूरे देश में उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत नहीं गिरा, इसलिए उनका दायित्व है कि जो दो चार पर्सेंट वोट जीतने के लिए आवश्यक होता है कांग्रेस को उस पर फोकस करना चाहिए। हमें उत्तराखंड में 70 विधानसभा पर जीतकर दर्ज करानी है। यदि कांग्रेस 11 सीटों के मसले पर ही उलझ कर रह जाएगी तो उन वोटरों क्या होगा जिन्होंने उस आंधी में भी कांग्रेस का दामन थामे रखा। इसलिए सभी नेताओं को एकजुट हो जाना चाहिए।
मीडिया से वार्ता करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों में विमर्श होते रहना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात लोकतांत्रिक तरीके से कही है और ये बात वो पार्टी के एक आम कार्यकर्ता होने के नाते ही बोल रहे है। यदि पार्टी में अपनी बात रखने की लोकतंत्र की शक्ति ही समाप्त हो जाएगी तो फिर बीजपी और कांग्रेस में अंतर ही क्या रह जाएगा।
मीडिया से मुखातिब होते हुए हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कार्यशैली पर सवाल उठाए और कहा कि मोदी सरकार में किसी भी मुख्यमंत्री को काम करने नहीं दिया जा रहा है। जो मुख्यमंत्री मोदी जी का जितना आज्ञाकारी है वह उतना ही नॉन परफॉर्मेंस मुख्यमंत्री है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी उन्हीं मुख्यमंत्री में से एक हैं जो केवल द्विमुर्ति की चरणों में पड़े हुए हैं। हरिद्वार दौरे के दौरान हरीश रावत ने उत्तराखण्ड महिला आयोग की प्रथम अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री श्रीमती संतोष चौहान के घर जाकर उनके स्वास्थ्य की भी जानकारी ली। हरीश रावत के हरिद्वार दौरे के दौरान मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन, कलियर विधायक फुरकान अहमद, भगवानपुर विधायक श्रीमती ममता राकेश, जिला पंचायत उपाध्यक्ष राव आफाक अली, संजय सैनी, सुशील राठी, राजबीर सिंह आदि हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता साथ थे।
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