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हल्की बूंदा बांदी में ही उखड़ने लगी कुम्भ निधि से बनी नवनिर्मित सड़कें, सड़कों के निर्माण में न कोई गुणवत्ता और न मानक, भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है नव निर्मित सड़कें

मनोज सैनी

हरिद्वार। कुम्भ निधि से बनी तीर्थ नगरी हरिद्वार की सड़कें हल्की बूंदा बांदी में ही जगह जगह से उखड़ने लगी है। भ्रष्टाचार का इससे बेहतरीन उदाहरण नहीं मिल सकता। बताते चलें कि तीर्थ नगरी हरिद्वार की सड़कें कुम्भ निधि से बनाई जा रही है लेकिन जब सड़कें बनाई जा रही है तब उनकी न तो कोई गुणवत्ता चेक की जा रही है और न ही सड़कें मानकों के अनुरूप बन रही है। गुणवत्ताविहीन और मानकों के अनुरूप धर्मनगरी की सड़कें न बनने पर कई बार इस सम्बंध में स्थानीय नागरिकों व बुद्धिजीवियों ने मेला व जिला प्रशासन से जांच की मांग भी की है लेकिन अधिकारियों के कान पर कोई जूं तक नहीं रेंगी जिसका नतीजा हल्की बूंदा बांदी में देखने को मिल गया है जब नव निर्मित सड़कें जगह जगह से उखड़े लगी हैं। गौर करने वाली बात ये हैं कि अधिकतर सड़कों का निर्माण देर रात व भरी सर्दियों में हो रहा है और निर्माणधीन सड़क को कोई भी अधिकारी देखने नहीं आ रहा है कि उसकी क्या गुणवत्ता है और किन मानकों के आधार पर बनाई जा रही है।

बनाई गई सड़कें कहीं 1 इंच मोटी तो कहीं कहीं 2 इंच मोटी परत की ही बनाई जा रही है लेकिन कोई भी अधिकारी देखने को नहीं आ रहा है। कुम्भ निधि का पैसा किस प्रकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है इसका स्पष्ट उदाहरण जनता के सामने है।

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