
हरिद्वार ब्यूरो
हरिद्वार। कुम्भ नगरी हरिद्वार में आज महाष्टमी और नवमी के पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग की गणना के अनुसार 2020 में 23 अक्टूबर दिन शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से अष्टमी प्रारम्भ हो गयी थी जो अगले दिन 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रही। 24 अक्टूबर को प्रातः 6 बजकर 58 मिनट से नवमी प्रारंभ हो गयी जो 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के 8वें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी की उपासना करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती है। इसके अलावा नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर महागौरी की आराधना से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता की पूजा अर्चना करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते है। मां की पूजा से कुंडली दोष भी दूर हो जाता है। शादी विवाह में आई हुई परेशानियों को दूर करने के लिए महागौरी का पूजन किया जाता है, क्योंकि महागौरी का पूजन करने से कुंडली का कमजोर शुक्र भी मजबूत हो जाता है और दांपत्य जीवन सुखद होता है साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी मिट जाते है। नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन कुंवारी कन्याओं को घर पर बुलाकर उन्हें पूजने और भोजन कराने की परंपरा होती है। मान्यता है कि कुंवारी कन्याओं में माता दुर्गा का स्वरूप होता है और नवरात्रि पर उनकी नौ दिनों तक आराधना करने के बाद कन्या पूजन कर उनकी विदाई की जाती है। वैसे तो नवरात्रि के हर दिन पर कन्या पूजन का महत्व होता है लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि कन्या पूजन में 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है। कन्या पूजन में सबसे पहले सभी कन्याओं के पांव धोकर फिर उन्हें टीका चंदन लगाकर उनकी आरती की जाती है। आरती करते समय मां का ध्यान किया जाता है। जो मां के 9 रूपों को दर्शाती हैं। फिर कन्याओं को भोजन करवाकर इन्हें भेंट स्वरूप कुछ दक्षिणा दी जाती है।
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