
हिंदू सनातन धर्म प्रेमियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री से शीघ्र ही काले शासनादेश को करे निरस्त करने की मांग
सुनील मिश्रा
हरिद्वार। श्री गंगा सभा रजिस्टर्ड हरिद्वार के पूर्व अध्यक्ष श्री राम कुमार मिश्रा ने मां गंगा के मान सम्मान की रक्षा के लिए पिछले कई रोज से हर की पौड़ी तीर्थ पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा चलाए जा रहे धरना प्रदर्शन पर वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार द्वारा काले शासनादेश को निरस्त नहीं किए जाने पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आज एक पत्र प्रेषित करते हुए सरकार से इस विषय पर अविलंब ही श्री गंगा जी के सम्मान के लिए नए शासनादेश को जारी किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा की पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा सनातनधर्मियों की भावनाओ पर कुठाराघात करने वाला एक गैर जरूरी व विवादस्पद अध्यादेश जारी कर एक विवाद को जन्म दे दिया गया था, जिसके द्वारा अविच्छिन धारा से प्रवाहित हरकी पौड़ी, मायापुर होते हुए कनखल प्रवाहित हो रही माँ श्री गंगा जी की अविरल धारा को “स्केप चेनल” घोषित कर दिया गया था जिस कारण सनातनधर्मियों की भावना ही नही प्राचीन धार्मिक गर्न्थो में वर्णित माँ श्री गँगा जी की कथा को झुठलाने का प्रयास किया गया था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत जी को अनेक बार आपत्ति पत्र प्रेषित किये गए। हरकी पौड़ी आगमन पर आपको भी सनातनधर्मियों की आहत हुई धार्मिक भावनाओ से अवगत कराते हुए उक्त अध्यादेश को निरस्त करने की माँग की गई थी।
किन्ही कतिपय कारणों से उक्त अध्यादेश अभी तक निरस्त नही हो पाया, चूंकि अब कुछ ही माह के पश्चात कुम्भ मेले के स्नान प्रारंभ होने जा रहे हैं।जिसकी सफलता के लिए आप व्यक्तिगत रुचि लेकर हरिद्वार को विश्व के नक्शे पर तीर्थाटन की एक और अधिक पहचान दिलाने के लिए कृतसंकल्पित हैं।
देश-विदेश से करोड़ो श्रद्धालु स्नान हेतु हरकी पौड़ी आने वाले हैं,स्नानार्थियों में एक भ्रम की स्तिथि उत्तपन्न हो गई है कि प्राचीन धर्मग्रन्थो में वर्णित हरकी पौड़ी कहाँ ? क्या वास्तव में हरकी पौड़ी पर प्रवाहित माँ गँगा जी ही हैं, या यह एक स्केप चेनल का जल है।
महोदय आप कृपया अवगत ही हैं, उक्त धारा को अविच्छिन रखने के लिए “भारतरत्न” महामना पण्डित मदनमोहन जी मालवीय के नेतृत्व में 1914 से 1916 तक एक लम्बा आंदोलन चलने के बाद तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के साथ हुए अनुबन्ध में भी इसको अविच्छिन बनाये रखने का अनुबन्ध हुआ था।
महोदय यह एक जनभावना के साथ जुड़ा हुआ मुद्दा है। आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास भी है कि आप देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रवेश द्वार हरकी पौड़ी हरिद्वार की महत्ता की रक्षा के लिए शीघ्र उक्त अध्यादेश को निरस्त करने का कष्ट करेंगे, आपके इस निर्णय के लिए पुरोहित समाज ही नही समस्त सनातनधर्मि सदैव आपके ऋणि एवं आभारी रहेंगे।
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