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पर्यावरण जीवन की पहली आवश्यकता: पदमभूषण डॉ अनिल जोशी

मनोज सैनी

रुड़की। कर्मचारियों, छात्रों व शिक्षकों में बदलते पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ उन्हें जिम्मेदारियों से अवगत कराने हेतु राष्ट्रीय राजमार्ग-58 रूडकी हरिद्वार रोड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रूड़की व कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रूडकी (कोर) में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पर्यावरणविद हेस्को संस्थापक पदमभूषण डॉ अनिल जोशी जी का हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया गया। कार्यक्रम यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रूड़की के कुलपति डॉ एस पी गुप्ता व निदेशक डॉ बी एम सिंह के नेतृत्व में डीन शैक्षणिक प्रो० ईला गुप्ता के संयोजन में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। मंच का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रश्मि गुप्ता ने किया। यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रूड़की के कुलपति डॉ एस पी गुप्ता ने डॉ जोशी का स्वागत किया और डॉ जोशी की उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद हेस्को संस्थापक पद्यमभूषण डॉ जोषी ने कहा पर्यावरण जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। जिसकी अनदेखी बिलकुल नहीं की जा सकती। निरन्तर यदि अनदेखी की जाती रही तो इसकी सजा आने वाली पीढियों को मिलेगी। उन्होंने सभी का विशेष ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आज अर्थशास्त्र के विभिन्न सूचकांकों की बात करते है चाहे वो जीडीपी हो, नेशनल इनकम हो, इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट हो परन्तु जीवन के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक ग्रॉस इनवायरनमेंट प्रोडक्ट (जीईपी) कभी बात नहीं करते जो वास्तविक विकास की धुरी है। हम जीवन का मूल्य समझने के साथ पर्यावरण की धरोहर का भी मूल्य हम समझते है इसलिए पर्यावरण के उच्च मानको के लिए हम सब लडाईयां लड रहे है।

डॉ जोशी ने पर्यावरण पर इंटर्नशिप व प्रोजेक्टस करने के लिए छात्रों व शिक्षकों को अभी प्रेरित किया और पर्यावरण की सुरक्षा में भागीदारी की मांग के साथ ही छात्रों व शिक्षकों ने भी उनके आदर्शों पर चलने के लिए कटिबद्धता जताई। उन्होंने मुख्यत युवाओं का आहवान कहा कि आज दिल्ली की हवा खराब है। कल देहरादून की होगी और परसो हमारे आस पास की। इस विषय को समझना बहुत जरूरी है प्रकृति, नदियों, पर्वतो, जंगलो को बचाना होगा इस मुहीम में आगे आइये। प्रकृति ने संदेश देना शुरू कर दिया इसे समझिये नदी, झरने, तालाब सूख रहे, वायु अशुद्ध हो रही है, जंगल कम हो रहे हैं इसमें सब नुकसान मनुष्य का है। ये देव तुल्य हैं इनकी आराधना से ही जीवन सार्थक है। उन्होंने आधुनिक रहन सहन, खान पान पर प्रशन चिन्ह लगाते हुए कहा कि हम दाल भात खाने वाले स्वस्थ लोग किस दिशा में जा रहे ये हमारे देश की संस्कृति व प्रकृति के लिए अनुकूल नहीं है। इनका स्वस्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । कार्यक्रम के अन्त में डॉ जोशी ने कोर प्रांगण में पौधा रोपण किया। संस्था की कार्य निदेशक श्रीमती चारू जैन ने डॉ जोशी को एक स्मृति चिन्ह प्रदान किया।

इस अवसर पर डीन डॉ डी वी गुप्ता, डॉ वी के सिंह, डॉ वीरालक्ष्मी, डॉ देवेन्द्र कुमार, डॉ हिमांशु चौहान, डॉ मृदुला सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर संस्थान के अध्यक्ष जे सी जैन ने सम्पूर्ण आयोजन समिति की प्रशंसा की और डॉ जोशी का आभार प्रकट करते हुए पुनः आगमन का निवेदन किया।

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