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मनोज सैनी
हरिद्वार। कांवड़ यात्रा अब अपने अंतिम चरण डाक कांवड़ में प्रवेश कर चुकी है लेकिन हरिद्वार में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित मस्जिद और मजार के बाहर विवादित पर्दे किसने लगवाए और किसके कहने पर लगाए गए, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। दिलचस्प बात यह है की पर्दे पुलिस और पत्रकारों के गले की फांस अभी तक बने हुए हैं।
बता दें कि हरिद्वार के ज्वालापुर से कांवड़ यात्रा मार्ग में 25 जुलाई को मजार और मस्जिद के बाहर अचानक पर्दे लगाकर उन्हें ढक दिया गया। इस पर मुस्लिम समाज को आपत्ति हुई तो मौके पर पत्रकारों को बुलाया गया। कई पत्रकारों ने मौके पर पहचुंकर खबर बनाई और अपने अपने संस्थान को भेज दी। खबर भेजने से पहले पत्रकारों ने जनपद के आला अधिकारियों के विवादित पर्दों पर उनके बयान मांगे, जिस पर जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान ने इस पर अनभिज्ञता बताते हुए बयान देने से मना कर दिया था। बहरहाल मीडिया में जब खबर चली तो जिला प्रशासन ने आनन फानन में प्रशासन द्वारा शाम को ही पर्दे हटा दिए गए। जानकारी लगी है कि जब मस्जिद और मजार के बाहर लगे पर्दे हटाए जा रहे थे तब भी वहां पत्रकार मौजूद थे।
विश्वस्त और खबरिया सूत्रों से जानती लगी की ज्वालापुर में कांवड़ यात्रा में मस्जिद और मजार पर पर्दे लगाने की खबर दिखाने को लेकर जनपद के पुलिस कप्तान और उपकप्तान संबंधित पत्रकारों से नाराज थे। इसी कड़ी में जब 27 जुलाई को सीसीआर में हुई बैठक के बाद पत्रकार जब पुलिस कप्तान की बाइट लेने पहुंचे तो उन्होंने बंद कमरे में पत्रकारों को खूब सुनाई और मुकदमा लिखने तक की बात कह डाली।
खबरिया सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि खबर दिखाने और चलाने वाले पत्रकारों में से किसी ने पुलिस कप्तान द्वारा पत्रकारों से व्यक्तिगत संबंधों को लेकर हुई बातचीत को एक न्यूज पोर्टल पर चलवा दिया जिससे पुलिस कप्तान और नाराज हो गए और मौखिक आदेश पर 3 पत्रकारों मुदित अग्रवाल, महावीर नेगी और सुमेश खत्री को “मीडिया डायरी” जो जनपद की हरिद्वार पुलिस और एसएसपी द्वारा जनहित और अपराधों से संबंधित जानकारियां पत्रकारों के साथ साझा की जाती है, उस व्हाट्सएप ग्रुप से रिमूव कर दिया, जिसके चलते अब उक्त पत्रकारों को जो खबर बैठे बिठाए मिल जाती थी, रिमूव करने के बाद नहीं मिलेगी।
बहरहाल अब भी बड़ा सवाल बना हुआ है कि आखिर मस्जिद और मजार के बाहर किसने पर्दे लगवाए थे, जिससे पुलिस प्रशासन की छवि को गहरा धक्का लगा है।
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