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कचहरी बनी अखाड़ा: केस की सुनवाई के दौरान हुआ बवाल, 50 लोगों पर मुकदमा दर्ज।

ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर की जिला अदालत जज और वकीलों की बहसबाजी के बीच अखाड़े में तब्दील हो गई। जिसके चलते जज ने अपनी सुरक्षा में तैनात सिक्योरिटी को बुला लिया। भड़के वकीलों को शांत करने के लिए पुलिस बीच बचाव किया तो वकील कुर्सियां उठाकर फेंकने लगे। मजबूरन पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इससे भड़के वकीलों ने पुलिस चौकी का घेराव किया। तोड़-फोड़ करते हुए उसमें आग लगा दी। पुलिस ने मामले में एक्शन लेते हुए करीब 50 लोगों पर एफआईआर की है। वहीं विरोध में वकीलों ने पूरे उत्तर प्रदेश में काम ठप कर दिया। वकीलों ने जज के तबादले की मांग करते हुए काम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। साथ ही मारपीट में घायल वकीलों के इलाज के लिए 2-2 लाख मुआवजा भी मांगा है। वकीलों का कहना है कि जब तक जज पर कार्रवाई नहीं होगी, वे काम पर नहीं लौटेंगे। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने 5 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद कोर्ट में एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। वकील नाहर सिंह यादव ने जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग जज से की, लेकिन जज ने इनकार कर दिया। इस दौरान वकील और जज के बीच बहस हो गया। विवाद बढ़ा और जज डाइस से नीचे आ गए। फिर जज-वकील आमने-सामने हो गए और उन्होंने अपनी सुरक्षा में तैनात पुलिस और पीएसी बुला ली। जज का बचाव करते हुए पुलिस ने वकीलों पर बल का प्रयोग किया। डीसीपी राजेश कुमार ने लाठीचार्ज के आदेश दिए। जज वकीलों को लाइसेंस जब्त कराने और जेल भिजवाने की धमकी दे रहे थे, जिससे वकील भड़क गए। फिर इतना हंगामा हुआ कि कई थानों की पुलिस और पीएसी बुलानी पड़ी। पुलिस ने जज को घेरकर उन्हें उनके दफ्तर तक सुरक्षित पहुंचाया।

जज की धमकियों और पुलिस के लाठीचार्ज से भड़के वकीलों में से कुछ को हिरासत में लेकर पुलिस थाने पहुंची, लेकिन वकीलों के दूसरे ग्रुप ने चौकी में आग लगा दी। तोड़-फोड़ करते हुए फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। खिड़कियों के शीशे तोड़े। कुर्सियां और मेज उठाकर फेंके। मेटल डिटेक्टर भी तोड़ दिया। डीसीपी सिटी राजेश कुमार, एसीपी कविनगर अभिषेक श्रीवास्तव जज को सिक्योरिटी देने कोर्ट पहुंचे। वकीलों के हमले में पुलिस वाले घायल हुए। सुरक्षा के लिए कोर्ट और थाने के बाहर अर्धसैनिक बल और पीएसीकी कंपनियां तैनात करनी पड़ी।

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