सुनील मिश्रा
हरिद्वार। नगर निगम, हरिद्वार के पार्षद पद के प्रत्याशियों के टिकटों के वितरण और सिटिंग पार्षदों के टिकट काटने को लेकर मुस्लिम समाज में कांग्रेस व उसके पदाधिकारियों के खिलाफ भारी असंतोष है। जिसका निकाय चुनाव में कांग्रेस को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इतना ही नहीं पिछले 40- 50 वर्षों से कांग्रेस के लिए अपना जीवन खपाने वाले बाबू नईम कुरैशी समर्थक भी कांग्रेस मुर्दाबाद और पदाधिकारियों पर पैसे लेकर टिकट वितरण का आरोप लगा रहे हैं। सिटिंग पार्षद जफर अब्बासी, तहसीन अंसारी, इसरार सलमानी, मन्नू का टिकट काटकर बाहरी व्यक्ति या फिर जनाधारविहीन व्यक्तियों को पार्षद का टिकट देकर कांग्रेस ने अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है, जिसका भारी खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। वहीं कांग्रेस महापौर सीट जीतने के लिए केवल हरिद्वार कॉरिडोर के मुद्दे पर ही अपना फोकस रख रही है।
वरिष्ठ पत्रकार राहत अंसारी का कहना है कि 2023 का हरिद्वार नगर निकाय चुनाव 2018 के निकाय चुनाव से बिल्कुल भिन्न नजर आ रहा है। 2018 के चुनाव में वरिष्ठ कांग्रेस नेता संजय पालीवाल और पूर्व दिवंगत विधायक श्री अम्बरीष कुमार जी के अथक प्रयासों और कांग्रेस की एकजुटता से हरिद्वार निगम का महापौर पद कांग्रेस की झोली में आ गया था। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मुस्लिम समाज, हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित और शहर की आम जनता में कांग्रेस प्रत्याशी की सरल, सहज भूमिका का बड़ा रोल रहा था लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी को अपनी जागीर समझने वाले पीसीसी अध्यक्ष करण माहरा ने जातीय समीकरण सहित सभी बिंदुओं को दरकिनार करते हुए महापौर सहित पार्षदों के टिकट वितरण में मनमानी कर अपने चहेतों को टिकट दे दिए जिससे कांग्रेस के कई बड़े चेहरे असंतुष्ट और नाराज दिखाई दे रहे हैं। जिसका सीधा असर निकाय चुनाव में पड़ने वाला है।
बताते चलें कि हरिद्वार नगर निगम के मेयर की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित होने से दोनों दलों के कद्दावर नेता चुनावी मैदान से बाहर हो गए हैं और यहां मेयर बनने की दौड़ मे इस बार दो-दो मुस्लिम प्रत्याशी भी मैदान में है। जो कांग्रेस को मिलने वाले मुस्लिम वोटों को काट सकते है। इन महिला प्रत्याशियों में एक प्रत्याशी कांग्रेस के पूर्व सभासद सरफराज गौड की पत्नी है। विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता की राजनीति के चलते पूर्व सभासद की पत्नी को मेयर पद हेतु खड़ा किया गया है। जबकि दूसरी महिला प्रत्याशी को भाजपा ने खड़ा किया है, जिससे कि कांग्रेस को पड़ने वाला मुस्लिम समुदाय के वोट में सेंधमारी की जा सके। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव या फ़िर नगर निकाय मुस्लिम समुदाय का कांग्रेस को भारी समर्थन देखने को मिलता है। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से कांग्रेस बढ़त बनाकर चलती है। पिछले निकाय चुनाव मे भी यही नजारा देखने को मिला था लेकिन इस बार दो मुस्लिम चेहरों के मैदान मे उतरने से कांग्रेस का गणित बिगड़ता नज़र आ रहा है। इस बार चुनाव मे मेयर पद के लिए दो मुस्लिम प्रत्याशियों के नामांकन से पार्टी मे भी खलबली है। इसमें बहुजन समाज पार्टी से उस्माना व निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे अफ़रोजा शामिल है। इन दोनों मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव मे खड़े होने के कारण कांग्रेस को मिलने वाले मत प्रतिशत मे बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। यही नही यह दोनों कांग्रेस प्रत्याशी को भी कांटे की टककर दे सकते है।
More Stories
हरिद्वार में 8-10 मार्च को होगी एनयूजे (आई) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, आदेश त्यागी को दी मुख्य संयोजक की जिम्मेदारी।
6 साल के लिए बीजेपी से निकाले गए मनोज गर्ग।
पश्चिमी विक्षोभ के चलते फिर बदलेगा मौसम।