प्रभुपाल सिंह रावत
रिखणीखाल। कोरोना टेस्ट के आयोजन हेतु क्षेत्र के अनेकों सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि व बुद्धजीवी प्रशासन से गुहार लगा रहे थे। जिस पर प्रशासन द्वारा प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र अंदर गाँव में कोरोना टेस्ट शिविर का आयोजन किया गया। बताते चलें कि रिखणीखाल ही नही अपितु समूचे पहाड़ी क्षेत्रों में विगत 1 महीने से बुखार का प्रकोप बना हुआ हैं जिसके चलते अनेकों मौते बुखार के कारण हो चुकी हैं जिस कारण चिंतनशील लोग चिंता कर रहे थे लेकिन दुख इस बात का हुआ कि यह रिखणीखाल ब्लॉक का प्रथम कोरोना टेस्ट शिविर था जिसमें बुखार से पीड़ित सभी लोगों के आने की उम्मीद थी किंतु ऐसा नही हुआ। मात्र 14 लोगों ने करोना सैम्पल दिया। ये वे लोग थी जो वर्तमान में स्वस्थ हैं। जिन लोगों को वर्तमान में 1 हफ्ते से अधिक बुखार हैं और जो कोरोना जैसे लक्षणों से जूझ रहे हैं उन्होंने जहमत नही उठाई कि हॉस्पिटल में जांच कराने पहुंचे। जिस कारण समस्या जस की तस बनी हुई हैं। जिन समस्याओं के निजात हेतु स्थानीय बुद्धजीवियों ने बेड़ा उठाया था वो समस्या मुहाने खड़ी हैं। जिन लोगों ने प्रशासन से कोरोना टेस्टिंग हेतु पत्र लिखा सिर्फ वही लोग जांच कराने पहुंचे। ऐसे में कैसे कोरोना से लड़ा जाएगा।
यदि इस तरह चलता रहा तो जिम्मेदार कौन हैं सरकारें तो अपना कार्य बखूबी कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दायित्व निभाया हैं। दर्द को दवा खोजनी थी किंतु दवा पहली बार दर्द के खोज में निकला और बैरंग लौट गया। लोगों को यह समझना है कि कोरोना कितना घातक हैं? पूर्व में भी बड़ी मसक्कत के बाद लोग कोरोना टीका लगवाने के लिए राजी हुए और आज टेस्टिंग हेतु बेरुखी, यह अज्ञानता को दर्शाती हैं। लोगों में कोरोना व कोरोना की रोकथाम के लिए अनेकों भ्रांतियां फैली हैं। सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से प्राप्त समाचारों से लोग भ्रमित हैं। सटीक जानकारी के अभाव में लोग आफत का बोझ झेल रहे हैं। जिस कारण जागरूक लोगों का भी जीवन जोखिम में पड़ रहा हैं। स्थानीय लोगों में बहुत अफवाहों का सैलाब बन चुका हैं। कोरोना के विषय पर इतनी कहानियां चल रही हैं कि प्रत्येक पल नई घटना सुनने को मिल रही हैं। हर व्यक्ति कोरोना से बचने की नई दवा का दावा कर रहा हैं। इन्हीं कुछ कारणों से लोगों में दंत भ्रांतियां फैल चुकी हैं।
इसमें सब से बड़ी कमी जनप्रतिनिधियों की भी रही। मौके पर स्थानीय ग्रामसभाओं के जनप्रतिनिधि भी नदारत रहे। वे स्वयं टेस्टिंग हेतु नही आये न अपने ग्रामसभाओं से बुखार पीड़ित लोगों को सेंटर तक लाये। 1 दिन पूर्व सभी ग्राम प्रधानों, आंगनबाडी कर्मी, आशा कर्मियों को संदेश पहुंच चुका था। बावजूद इसके कोई भी जनप्रतिनिधि प्रतिनिधित्व करने नही आया। न किसी बीमार व्यक्ति को सेंटर तक लाया गया। सरकार को चाहिए कि वे लोगों को बलपूर्वक जांच के लिए सेंटर तक लाएं। ग्रामीणों का जीवन संकट में न डाला जाये। यदि वर्तमान में कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया तो जिम्मेदार कौन? क्या उस व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही होगी? लापरवाही के लिए सरकार नही जनता खुद जिम्मेदार हैं।
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