
मनोज सैनी
हरिद्वार। विश्व प्रसिद्ध तीर्थनगरी, हरिद्वार में हजारों ऐसे लोग हैं जो छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपना परिवार चला रहे हैं, इनमें चाय की दुकान, पान, छोले भटूरे, छोले कुलचे, नाश्ता ठेला, सड़क किनारे बैग, बेल्ट व चप्पल आदि बेचने वाले, फास्ट फूड ठेला, सड़क किनारे सामान बेचने वाले, फेरी वाले, घरों में रंग रोगन, दिहाड़ी मजदूर सहित अन्य कई छोटे कारोबारियों के सामने कोरोना से ज्यादा अब भुखमरी व बेरोजगारी का डर सताने लगा है। कोरोना संक्रमण से यदि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो इनके सामने भुखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं।
कोरोना ने मानव जीवन को अत्यंत ही कष्टप्रद बना दिया है, जो इस वायरस से पीडि़त हो रहे हैं वे काल कवलित हो रहे हैं, लेकिन जो इससे पीड़ित नहीं है अब उनका भी जीना मुहाल हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभाव उन छोटे व्यवसाइयों पर पड़ रहा है, जो छोटा-मोटा कारोबार कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे, इन व्यवसाइयों के पास उतनी बचत भी नहीं है कि कई दिनों तक कारोबार बंद रहने से भी काम चला सकें। अब आलम यह है कि ऐसे व्यवसायी इधर-उधर से कर्ज लेकर परिवार की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से इनका पूरा कारोबार बंद है। लॉकडाउन से हरिद्वार का व्यापारी वर्ग ही नहीं, बल्कि उनके प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारी और मजदूर भी परेशान हैं। कोरोना से व्यवसाय और कारोबार प्रभावित है, पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ है, वहीं इन दुकानों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी भी छूट गई है। लॉकडाउन मानसिक तौर पर निराशा की ओर धकेल रहा है, मानसिक अवसाद के चलते वे डिप्रेशन की हालात से गुजर रहे हैं।
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