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EXCLUSIVE: सेवानिवृत्त लेखपाल ने तहसील, हरिद्वार में फैले भ्रष्टाचारी सिस्टम की खोली पोल, पढिये क्या है पूरा मामला

मनोज सैनी
हरिद्वार। सरकारें भले ही जीरो टॉलरेन्स का फटा हुआ ढोल पीटती हों मगर आज भी हर विभाग में पूर्ववर्ती सरकारों से ज्यादा भ्रष्टाचार फैला हुआ है। जनपद हरिद्वार में भी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। तहसील हरिद्वार में कार्यरत पटवारियों, कानूनगों, तहसीलदार आदि सभी की मिलीभगत से उच्च अधिकारियों के संरक्षण में भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन फल फूल रहा है।

लेखपालों का तो आलम यह है कि उन्होंने अवैध उगाही के लिये अपने निजी सहायक भी रख लिये है जो लेखपालों और उनके उच्च अधिकारियों के लिये काम के नाम पर धनउगाही का काम करते हैं। इसी भ्रष्टाचार का खुलासा खुद तहसील हरिद्वार में रहे सेवानिवृत्त लेखपाल व एडवोकेट चरण सिंह सैनी ने उत्तराखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव आदि को प्रेषित पत्र के जरिये विस्तार पूर्वक बताया है कि किस प्रकार जिला प्रशासन में बैठे अधिकारी व कर्मचारी आमजनता को परेशान कर भ्रष्टाचार का खेल खेलते है और जिला प्रशासन भ्रष्टाचार के इस खेल से आंखे मूंदे बैठा है।


उत्तराखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव आदि को प्रेषित पत्र में सेवानिवृत्त लेखपाल चरण सिंह सैनी ने लिखा है कि अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो के पद पर तहसील हरिद्वार में पिछले 5 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत है तथा इससे पूर्व लेखपाल रहते हुए भी अधिकतर समय तहसील हरिद्वार में ही कार्यरत रहा है। बिजेन्द्र कुमार को 34 / 35 भूराजस्व अधिनियम 1901 की पत्रावली की जो पत्रावली दी जाती है तो उन पर डेड-दो माह बाद तक भी तहत दाखिल-खारिज कोई कार्यवाही नही होती है। जब भी पत्रावली की जानकारी प्राप्त की जाती है तब अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार द्वारा कोई भी उचित जानकारी नहीं दी जाती है। यह एक ऐसा प्रकरण है कि किसी वादकारी को अपनी सम्पत्ति पर लोन लेना होता है किसी वादकारी को अपनी सम्पत्ति को विक्रय करना होता है, आदि अनेक कार्य करने होते है लेकिन तहसील हरिद्वार में केवल इन्ही का राज चलता है। इस कारण वादकारियों को आये दिन अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दाखिल-खारिज की प्रत्येक पत्रावली में 1% का सुविधा शूल्क की मांग की जाती है, न देने में अनावश्यक विलम्ब किया जाता है। जब इसकी शिकायत तहसीलदार हरिद्वार से की जाती है तब तहसीलदार हरिद्वार एक ही जवाब देती है कि अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानूनगो से मिल लो होता कुछ नहीं है। अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानूनगों अपने कलम से कोई काम नहीं करता है तमाम रजिस्ट्रार कानुगों के पदेन कार्य प्राईवेट लडके/लडकियो द्वारा अपने हैण्डराईटिंग में किये जाते है। भुराजस्व अधिनियम 1901 की धारा 34/35 में नाम परिवर्तन की जो पत्रावली भूलेख नियमावली के पैरा 254 के तहतं प्राप्त होती है उन प्रत्येक पत्रावली को नाम परिवर्तन विषयक मिसिलबन्द रजिस्ट्रर (आकार पत्र ₹-5 क) में दर्ज किया जाता है, तत्पश्चात सम्बन्धित पक्षों को उदघोषणा (Proclamation) जारी की जाती है तदोपरान्त पत्रावली स्वीकृती के उपरान्त नामान्तरण पंजी (आकार पत्र र-6) में उसका अमलदरामद किया जाता है। ये समस्त कार्य सम्बन्धित रजिस्ट्रार कानुगों को अपने हैण्डराईटिंग में करने होते है लेकिन इनमें से कोई भी कार्य अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानुनगो द्वारा अपने हैण्डराईटिंग में नहीं किये जाते हैं। ये सारे शासकीय कार्य प्राईवेट लडके/लडकियो द्वारा अपने हैण्डराईटिंग में किये जाते है तथा उनको किस मद से पारितोषिक दिया जाता है। इससे स्वतः है स्पष्ट हो जाता है कि तहसील हरिद्वार में कितना भ्रष्टाचार है। वे सब प्राईवेट लडके अप्रशिक्षित (untrained) है इस कारण राजस्व पंजिकाओं में बहुत सी गलतिया (Error) रह जाती है। जो Land Record manual का खुल्लम-खुल्ला उलघंन है तथा भ्रष्टाचार का द्योतक है। इसकी शिकायत कई बार मौखिक रूप से तहसीलदार श्रीमती शालिनी मौर्य की की गयी लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब उनकी सहमति से ही हो रहा है। तहसील हरिद्वार में आज से अधिक भ्रष्टाचार कभी नही रहा है। इसलिये उपरोक्त प्रश्नगत प्रकरण में अमरीश कुमार व बिजेन्द्र कुमार रजिस्ट्रार कानूनगो के साथ-साथ तहसीलदार हरिद्वार का स्थानान्तरण अन्यत्र तहसील में करके उच्च स्तरिय जाँच कराकर दोषियों के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने की कृपा करे।

इसके साथ सेवानिवृत्त लेखपाल चरण सिंह सैनी ने एक पत्र जिलाधिकारी, हरिद्वार को प्रेषित करते हुए बताया कि
ग्राम ज्वालापुर ( अन्दर सीमा नगर निगम) परगना ज्वालापुर तहसील य जिला हरिद्वार में स्थित खसरा 1735 क्षेत्रफल 0.6110 हैक्टेयर शत्रु सम्पत्ति की भूमि है। जिस पर दिन प्रतिदिन अवैध कब्जे हो रहे है। वर्तमान तक बहुत व्यक्तियों ने अवैध कब्जे कर लिए है। चुकि नियमानुसार उक्त शत्रु सम्पत्ति के संरक्षक (Custodian ) तहसीलदार हरिद्वार है। बावजूद इसके उक्त भूमि पर लगातार कब्जे हो रहे है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि तहसीलदार हरिद्वार की अवैध कब्जदारों से मिलीभगत है। चुकि उक्त सम्पत्ति सरकारी सम्पत्ति है, उसको अवैध कब्जेदारों से बचाना आवश्यक है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण की जाँच तत्कालीन जिलाधिकारी हरिद्वार के आदेश / संस्तुति के आधार पर सतर्कता विभाग सैक्टर देहरादून द्वारा की जा रही है, जिसमें सभी उपजिलाधिकारीगण, तहसीलदारगण, राजस्व निरीक्षकगण, रजिस्ट्रार कानुनगोगण, लेखपालगण भूमाफियागण, अधिवक्तागण आदि के खिलाफ या तो चार्जशीट लग गयी है या लगने वाली है। इसलिये उक्त प्रकरण में ग्राम ज्वालापुर ( अन्दर सीमा नगर निगम) परगना ज्वालापुर तहसील व जिला हरिद्वार में स्थित खसरा 1735 क्षेत्रफल 0.6110 हैक्टेयर शत्रु सम्पत्ति की भूमि पर दिन प्रतिदिन हो रहे अवैध कब्जों को रोकने के आदेश पारित करने की कृपा करे तथा वर्तमान से पूर्व के कब्जों को तत्काल हटवाने की कृपा करे।

इससे पूर्व क़ानूगों बिजेंद्र कुमार ने रजिस्ट्रार कानूनगो संघ, हरिद्वार का अध्यक्ष को एक पत्र प्रेषित करते हुए लिखा कि दिनांक 11.10.2021 को वह अपने कार्यालय में बैठकर शासकीय कार्यों के सम्बन्ध में कम्प्यूटर ऑपरेटर से लेटर टाईप करवा रहा था। लगभग 12:00 बजे दोपहर चरण सिंह सैनी द्वारा कार्यालय में प्रवेश करके फाईले पटक कर ओ बिजेन्द्र मेरी दाखिल खारिज की फाईल क्यों नहीं हुई। अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई कहने लगा। मेरे द्वारा उसे उसकी दाखिल खारिज की फाईलों के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि उन फाईलों पर तहसीलदार हरिद्वार के हस्ताक्षर हेतु प्रेषित कर रखी है एवं मेरे द्वारा की गई कार्यवाही के सम्बंध में जानकारी दी गई परन्तु उसके द्वारा कार्यालय में जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया कि मैं तुझे देख लूंगा, मैं तुझे नौकरी करना सिखा दूगां एवं मां-बहन की अनाप शनाप गालियां दी जाने लगी। जोर-जोर से चिल्लाने लगा तथा कहने लगा कि तू बाहर निकल मैं तुझे जान से मारूंगा तेरा मुह काला करूंगा तथा मेरी मेज को जोर से बजाने लगा। उक्त घटना क्रम के समय कार्यालय में रजिस्ट्रार कानूनगो सुरेन्द्र सिंह तोमर व आप स्वयं भी उपस्थित थे, इसके अतिरिक्त नवीन त्यागी, राजस्व उप निरीक्षक जिनसे इस अभद्र व्यवहार एवं देख लेने की धमकी की पुष्टि की जा सकती है। इस तरह की हरकत पूर्व में भी दो बार चरण सिंह द्वारा मेरे साथ की जा चुकी है जिसके आप स्वयं एव सुरेन्द्र सिंह रजिस्ट्रार कानूनगो साक्षी है। मैं बड़े सदमे में हूँ। चरण सिंह द्वारा मेरे साथ कभी भी कोई अप्रिय घटना की जा सकती है। मेरा मानसिक सन्तुलन इस घटना से खराब हो गया है। शासकीय कार्य करने में एकाग्रता नहीं बन पा रही है। चरण सिंह से मेरी जान को खतरा बन गया है।

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