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समलैंगिक विवाह: मुस्लिम युवकों के धोखा देने पर आशा और ज्योति ने की शादी। लड़कों से भरोसा उठने के बाद उठाया कदम।

ब्यूरो
बदायूं में आज आशा और ज्योति परिणय सूत्र में बंध गई है। दोनों ने आपस में शादी कर ली। आशा अब पति की भूमिका में रहेगी और नया नाम गोलू होगा। आशा दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में काम करती है और पांच भाइयों और पांच बहनों में दूसरे नंबर पर हैं और ज्योति देहरादून में काम करती है। वह दो बहनों में बड़ी हैं। बताया कि तीन महीने पहले दोनों की बातचीत शुरू हुई थी।बातचीत के दौरान उन्हें एक-दूसरे के विचार पसंद आए। दोनों फोन पर बात करने लगे। फिर जीवन भर साथ रहने का निर्णय ले लिया।

शादी के बाद लड़कियों ने कहा कि मुस्लिम युवकों ने हिंदू बनकर उनके साथ दोस्ती की थी। जब इस धोखे का पता चला तो टूट गए। तब से मर्दों से नफरत है। इसीलिए उन्होंने एक दूसरे से शादी करने का निर्णय लिया। अब हम पति-पत्नी की तरह साथ रहेंगे। दोनों युवतियों का कहना है कि अगर उनके परिवार वाले इस रिश्ते को स्वीकार कर लेते हैं तो अच्छा है, नहीं तो कोई बात नहीं।

पत्नी बनी ज्योति ने कहा, हम लड़कों से नफरत करते हैं। अब हमारा भरोसा उनसे उठ चुका है। हम दोनों तीन महीने से एक-दूसरे को जानते हैं। जब लगा कि हम एक-दूसरे को समझते हैं, तो हमने शादी का फैसला लिया। अभी हमारे घरवाले इस रिश्ते से अनजान हैं लेकिन अब हम उन्हें बताएंगे। हम मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे का साथ देंगे। पहले घर जाएंगे, फिर दिल्ली जाकर काम करेंगे।

पति बनी आशा उर्फ गोलू ने कहा, पुरुषों ने हमारे साथ बहुत गलत किया। इसलिए हमने यह कदम उठाया है। अगर घरवाले साथ देंगे तो ठीक, वरना हम दिल्ली में साथ रहेंगे। हम दोनों साथ में अच्छे से रह सकते हैं, काम करेंगे और जब बजट होगा, तो अपना घर बनाएंगे। मैं इस शादी से बहुत खुश हूं।

अधिवक्ता बोले, संविधान में है अधिकार अधिवक्ता दिवाकर वर्मा शादी के वक्त मौजूद थे। उन्होंने बताया, ये दोनों लड़कियां मेरे पास आई थीं और कहा कि वे लड़कों से नफरत करती हैं तथा शादी करना चाहती हैं। संविधान उन्हें यह अधिकार देता है। हमने सभी औपचारिकताएं पूरी कराईं। पहले वे दोस्त बनीं, फिर साथ रहने लगीं और अब मंदिर में विधिवत शादी कर ली है। यह शादी वैध है या नहीं, यह अदालत तय करेगी। दस्तावेजों में उनके वही नाम रहेंगे जो पहले से हैं, लेकिन आपस में वे एक-दूसरे को जो चाहे वह कह सकती हैं। इन युवतियों को मुस्लिम युवकों द्वारा धोखा दिया गया था, जिससे आहत होकर उन्होंने यह फैसला लिया।

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