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जिलाधिकारी, हरिद्वार और उपनिबंधक से की सैनी सभा(सैनी आश्रम) ज्वालापुर के त्रिवार्षिक चुनाव कराने की मांग। 5 जनवरी 2025 को कार्यकाल हो गया था समाप्त।

सैनी सभा(सैनी आश्रम) पर अवैध रूप से काबिज अध्यक्ष, मंत्री पर ऑडिटर ने ऑडिट रिपोर्ट में लगाए थे 19 लाख की वित्तीय अनियमितता और 5 लाख के गबन के गंभीर आरोप।

मनोज सैनी

हरिद्वार। 2010 में सैनी आश्रम को बचाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महामहिम राष्ट्रपति, भारत से सम्मानित पूर्व प्रधानाचार्य जगपाल सैनी सहित सैनी सभा (सैनी आश्रम) के अनेकों पदाधिकारियों और सदस्यों ने जिलाधिकारी, हरिद्वार और उपनिबंधक, फर्म सोसायटी चिट्स एंड फंड, हरिद्वार को पत्र भेजकर समाज और आश्रम हित में सैनी सभा (सैनी आश्रम) की नई कार्यकारिणी के गठन हेतु चुनाव कराने की मांग की है।


उपरोक्त दोनों अधिकारियों को लिखे पत्र में लिखा है कि सैनी सभा हरिद्वार (सैनी आश्रम) ज्वालापुर फाईल सं0-1667M नवीनीकरण संख्या 278/2017-18 व रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र सं-529/1989-1990 है कि कार्यकारणी का कार्यकाल नियमावली के नियम 8 के बिन्दू संख्या ख (र) के अनुसार 03 वर्ष है। गत कार्यकारिणी का चुनाव दिनांक 5 जनवरी 2022 को होने पर कार्यकारिणी ने कार्यभार ग्रहण कर लिया था। इस प्रकार वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है। कार्यकारिणी कालातीत हो चुकी है। इसलिये नये त्रिवार्षिक के चुनाव कराने आवश्यक है। अतः श्रीमान जी से प्रार्थना है कि सैनी सभा हरिद्वार सैनी आश्रम की प्रबन्ध कारिणी (कार्यकारिणी) का चुनाव अपने स्तर से कराने की कृपा करे।

वहीं दूसरी और सैनी सभा(सैनी आश्रम) ज्वालापुर के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों और सदस्यों ने अध्यक्ष, मंत्री और उनके चंद सहयोगियों की नियत, मंशा और साजिश का संदेह होने के कारण सभा के पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा भी जिलाधिकारी, हरिद्वार और उपनिबंधक, फर्म सोसायटी चिट्स एंड फंड को भी एक पत्र प्रेषित किया है। जिसमें लिखा है कि तहसील ज्वालापुर, जिला हरिद्वार के निकट स्थित सैनी सभा हरिद्वार, सैनी आश्रम ज्वालापुर जिसकी फाईल संख्या- 16670M, नवीनीकरण संख्या- 278/2017-18 व रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र संख्या-529/1989-1990 है। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि समाज के कुछ राजनीतिक व प्रभावशाली व्यक्त्ति आपस में साज करके कूटरचित, झूठे व फर्जी प्रस्ताव बैंक डेट में दर्शाकर सैनी सभा (सैनी आश्रम) ज्वालापुर का नाम बदलकर अथवा संस्था को ट्रस्ट के रूप में बनाकर अथवा स्मृतिपत्र एवं नियमावली में अपने मनमाफिक व व्यक्तिगत लाभ कमाने की नियत से परिवर्तन करने हेतु अनधिकृत कुचेष्टा करना चाह रहें हैं। जबकि इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव संस्था द्वारा सर्वसम्मति से वास्तव में आज दिनांक तक भी पारित नहीं किया गया है। अतः आपसे प्रार्थना है कि यदि कोई भी व्यक्त्ति सैनी सभा हरिद्वार, सैनी आश्रम ज्वालापुर जिला-हरिद्वार के नाम स्मृतिपत्र एवं नियमावली में अनधिकृत रूप से किसी भी प्रकार का संशोधन अथवा परिवर्तन करने हेतु आपके समक्ष आवेदनपत्र प्रस्तुत करता है तो नियमावली में किसी भी प्रकार के परिवर्तन किये जाने से पूर्व प्रार्थीगण का पक्ष भी सुनने की कृपा करें। जिससे कि संस्था हित सुरक्षित रहे।
सैनी सभा (सैनी आश्रम) में अवैध रूप से काबिज अध्यक्ष मंत्री और उनके सहयोगियों पर अविश्वास करने के पीछे कई कारण है। सैनी सभा (सैनी आश्रम) ज्वालापुर के 2022- 2025 के त्रिवार्षिक चुनाव 5 जनवरी 2022 को संपन्न हो गए थे। कार्यकाल के शुरुआती दिनों से लेकर कार्यकाल के अंतिम समय और वर्तमान तक अध्यक्ष और मंत्री की कार्यशैली विवादों के घेरे में घिरी रही। अध्यक्ष मंत्री द्वारा अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही अपने चंद सहयोगियों के माध्यम से कार्यकारिणी में प्रस्ताव पास कराए बिना ही लाखों रुपए के आश्रम में रंगाई – पुताई, साजो सामान की खरीदारी, टाइल लगवाने आदि के काम करवा दिए गए और इस प्रकार का संस्था के नियम विरोधी सिलसिला लगातार चलता रहा, जिसका सभा की कार्यकारिणी में सदस्यों ने भारी विरोध किया और कार्यकाल के अंतिम वर्ष में जब कार्यकारणी के भारी दबाव में सभा के मंत्री और कोषाध्यक्ष द्वारा सभा के ऑडिटर से ऑडिट कराया गया तो अध्यक्ष मंत्री और उनके सहयोगियों पर 19 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता और 5 लाख रुपए का गबन करने के आरोप लगाते हुए ऑडिटर द्वारा अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कई गंभीर टिप्पणियां उल्लेखित की गई। इतना ही नहीं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर आश्रम में कार्यकारिणी के प्रस्ताव के बिना ही अवैध रूप से मोबाइल टावर भी लगवा दिया था। हालांकि बाद में सभा के संरक्षक मंडल के सदस्यों, पदाधिकारियों और सदस्यों के भारी विरोध के चलते अध्यक्ष और मंत्री को मोबाइल टावर हटवाना पड़ा। अनेकों सदस्यों का आरोप है कि सैनी आश्रम में उक्त मोबाइल टावर लगवाने के लिए अध्यक्ष, मंत्री और उनके सहयोगियों द्वारा लाखों रुपए कमीशन के रूप में लिए गए थे। इतना ही नहीं अध्यक्ष द्वारा आश्रम में अपने सहयोगियों के साथ खुलेआम शराब का सेवन करने और अन्य असामाजिक कार्य करने के आरोप भी लगते रहे हैं।

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