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हरिद्वार के महिला अस्पताल में गर्भवती महिला के साथ अमानवीय व्यवहार पर महिला आयोग ने लिया संज्ञान। कहा आरोपियों के विरुद्ध होगी कार्रवाई।

मनोज सैनी

देहरादून। हरिद्वार के महिला अस्पताल में मजदूर की पत्नी को महिला अस्पताल में भर्ती करने से मना करने के अत्यंत गंभीर मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने संज्ञान लिया है। मामले में जानकारी मिली है कि भर्ती के लिए मना करने के बाद प्रसूता ने फर्श पर तड़पते हुए बच्चे को जन्म दिया। इसी के साथ डॉक्टरों ने आशा वर्कर को ही फर्श साफ करने के लिए कहा कि तेरा मरीज है, तू ही साफ कर।

मामले में परिजनों का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने गर्भवती महिला को बाहर निकालते हुए कहा कि यहां डिलीवरी नहीं होगी और महिला को बेसहारा छोड़ दिया। अस्पताल स्टाफ ने भी मदद करने से इनकार कर दिया। महिला प्रसूता को अपने साथ लेकर आईं आशा वर्कर को वीडियो बनाने पर उसका फोन छीनने की कोशिश भी की गई है।

इस मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है क्योंकि सरकार सभी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है और यदि अस्पताल में तैनात चिकित्सकों या कर्मचारियों द्वारा किसी के भी साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य महिला आयोग की सदस्य को जांच के निर्देश दिए है साथ ही आयोग की अध्यक्षा कुसुम कण्डवाल इस प्रकरण में सीएमओ आर के सिंह व कमल जोशी को जांच कराने के निर्देश दिए है।

उन्होंने कहा की इस निन्दनीय घटना में जांच के बाद इस दौरान ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सकों के विरुद्ध नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ताकि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न हो।

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