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हनुमान ने जलाई रावण की स्वर्ण लंका। चूर चूर किया रावण का अभिमान।

सुनील मिश्रा

हरिद्वार। बड़ी रामलीला में हनुमान-रावण संवाद और लंका दहन की लीला के माध्यम से दिखाया कि अहंकार व्यक्ति को किस प्रकार पतन और पराजय की ओर ले जाता है। रावण ने हनुमान के पिता पवन को अन्य देवताओं के साथ अपने कारागार में बंद कर रखा था। लेकिन पवन पुत्र हनुमान ने रावण की स्वर्ण सदृश लंका जलाकर उसका अभिमान चूर-चूर कर दिया। भगवान श्रीराम ने सुग्रीव के शिविर से हनुमानजी को सीता की खोज करने लंका भेजा। लंका में विभीषण ने हनुमान जी का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अशोक वाटिका जाकर राम की मुद्रिका सीता को दी और सीता से चूड़ामणि लिया। हनुमानजी ने लंका में रावण को अपनी शक्ति का एहसास कराते हुए उससे सीता को वापस करने का सुझाव दिया और अनुरोध भी किया। लेकिन रावण को तो भगवान के हाथों अपनी मुक्ति का माध्यम सीता में ही दिखाई दे रहा था। रावण ने रामदूत हनुमान को दंडित करने की योजना बनाई तो हनुमान ने पूरी लंका को ही जला दिया। इस अवसर पर रामलीला मंचन का अवलोकन करने पहुंचे अतिथियों का कमेटी के पदाधिकारियों अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा, ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील भसीन ट्रस्ट के मंत्री रविकांत अग्रवाल, कमेटी के महामंत्री महाराज सेठ, कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, ऋषभ मल्होत्रा एवम विशाल गोस्वामी ने मंच पर व्यवपार मंडल के पदाधिकारी श्री संजीव नैयर, विजय शर्मा, गोपाल तलवार, संदीप शर्मा, पुरी जी, अनिल पुरी एवम ऋषभ मल्होत्रा का स्वागत किया। मंच का संचालन डॉ. संदीप कपूर एवं विनय सिंघल ने किया। मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा, एवं कमेटी के सम्मानित कन्हैया खेवड़िया, विकास सेठ, राहुल वशिष्ठ, रमेश खन्ना आदि उपस्थित रहे। लीला में राम का अभिनय दिग्दर्शक साहिल मोदी, हनुमान जी का अभिनय अरुण वर्मा, लक्ष्मण का अभिनय जयंत, सुग्रीव का अभिनय संजीव गिरी, त्रिजटा का अभिनय पवन खैरवाल ने किया।

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