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हरिद्वार में कांग्रेस पार्टी के प्रति बढ़ रहा है युवाओं का क्रेज।

मनोज सैनी
हरिद्वार। देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस आज अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। हरिद्वार में भी कांग्रेस गुटों में बंटी होने के कारण पिछड़ी नजर आती है, जिस कारण वह पिछले कई वर्षों से नगर विधायक के लिए तरस गई है। इसका एक और कारण है पार्टी में बूथ कार्यकर्ताओं की कमी और जनाधार विहीन नेताओं की भरमार। मगर पिछले 1- 2 वर्षों में ध्यान से देंखे तो कांग्रेस पार्टी की तरफ युवाओं का क्रेज बढ़ता जा रहा है। पार्टी के कार्यक्रमों में अब वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी भी बढ़ती जा रही है। पहले जहां पार्टी के कार्यक्रमों में इक्का दुक्का युवा ही देखे जाते थे वहीं अब पार्टी के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कार्यक्रमों में युवाओं की भारी तादाद देखी जा सकती है।

 

जिलाध्यक्ष ग्रामीण राजीव चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष अमन गर्ग, युवा जिलाध्यक्ष अध्यक्ष कैश खुराना, महानगर अध्यक्ष तुषार कपिल, ब्लॉक अध्यक्ष जतिन हांडा, विकास चंद्रा, विमल शर्मा, अमित नौटियाल, नगर अध्यक्ष अंकित चौहान, सेवादल अध्यक्ष अश्विन कौशिक, वरुण बालियान, रवीश भटीजा, मनोज जाटव, समर्थ अग्रवाल, आशु भारद्वाज, तरुण व्यास, नितिन तेश्वर, मनोज सैनी, यशवंत सैनी, अनिल भास्कर, वसीम सलमानी, नावेज अंसारी, सुनील कुमार, जितेन्द्र सिंह, ओम पहलवान, ऋषभ वशिष्ठ, नीतू बिष्ट, दीपाली त्यागी, नीलम शर्मा, नितिन यादव, राजेंद्र जाटव, राजेंद्र श्रीवास्तव, राजीव भार्गव आदि जोशीले युवा पार्टी का जानदार बढ़ाने में दिन रात लगे हुए हैं।

वहीं दूसरी और वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक रामयश सिंह, श्री मति अनिता शर्मा, सतपाल ब्रह्मचारी, संजय पालीवाल, मुरली मनोहर, प्रदीप चौधरी, ओ पी चौहान, राजवीर सिंह, महेश प्रताप राणा, बी एस तेजियान, कैलाश प्रधान, करतार सिंह खारी, संतोष चौहान, सोम त्यागी, संजय अग्रवाल, अशोक शर्मा, नईम कुरेशी, सुभाष कपिल, गुलशन नैय्यर, त्रिपाल शर्मा, बृजमोहन बड़थवाल, वीरेंद्र श्रमिक जैसे अनुभवी नेता उनका मार्ग दर्शन कर रहे हैं। संलग्न फोटो में आप देख सकते हैं की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवा शक्ति नजर आ रही है।

यदि भविष्य में युवा जोश और अनुभवी नेता अपने निजी स्वार्थ छोड़कर पार्टी हित में कार्य करते रहे तो पार्टी फिर अपने उच्चतर शिखर पहुंच जायेगी और देश में पुनः आधुनिक भारत के मंदिर स्थापित होंगे।

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