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जनसमस्याओं को उठाने की सजा क्या अब मुकदमें के रूप में होगी!

मनोज सैनी

हरिद्वार। जनता की आवाज व जनसमस्याओं को उठाने की सजा मेयर पति अशोक शर्मा व उनके 20 समर्थकों को मुकदमें के रूप में मिली है। मुख्य नगर आयुक्त, नगर निगम जय भारत सिंह ने शहर कोतवाली में अशोक शर्मा व उनके समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। मुख्य नगर आयुक्त द्वारा दी गयी तहरीर में लिखा है कि महापौर के पति अशोक शर्मा व उनके समर्थकों ने कार्यालय में घुसकर अभद्रता व अपमान करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने व कोविड नियमों का उल्लंघन करने का काम किया है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। बताते चलें कि अभी चन्द रोज पहले मेयर पति अशोक शर्मा ने अपने समर्थकों के साथ निगम परिसर में पड़े करोड़ों रुपये के डस्ट बीन जिसमें डेंगू का लार्वा पनप रहा था उन्हें खाली कराने व उचित स्थानों पर रखने के लिये निगम परिसर में मुख्य नगर आयुक्त के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसके अतिरिक्त मुख्य नगर आयुक्त द्वारा विधायक निधि से बने तथाकथित पुस्तकालयों के लिये साजो सामान खरीदने हेतु निविदा की तैयारी की जा रही थी। मगर मेयर श्रीमती अनिता शर्मा ने जब उक्त पुस्तकालयों का धरातल पर जाकर निरीक्षण किया तो मालूम चला कि वहां पुस्तकालय के नाम पर सिर्फ खण्डहर है और जो जर्जर हालात में है। इतना ही नहीं निरीक्षण में मेयर ने देखा कि तथाकथित पुस्तकालयों में शराब आदि की बोतलें सहित बकरियां भी खड़ी पाई गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्य नगर आयुक्त निगम क्षेत्र में जमीन पर उतरकर कितना कार्य करते हैं। जब इन जनहित के मुद्दों को मेयर व मेयर पति अशोक शर्मा ने मुख्य नगर आयुक्त के सामने रखा तो उन्होंने इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस पर मेयर पति अशोक शर्मा अपने समर्थकों सहित मुख्य नगर आयुक्त के कार्यालय में पहुंच गए। वार्ता चल ही रही थी कि तभी मेयर पति ने जन समस्याओं को लेकर ऊंची आवाज में बोलना शुरू कर दिया। इस पर मुख्य नगर आयुक्त ने पुलिस को मौके पर बुला लिया।

अब मुख्य सवाल यह है कि जब अधिकारी जनता की समस्याओं को नहीं सुनते व धरातल पर जाकर नहीं देखते हैं तो ऐसे अधिकारियों जो सिर्फ एसी कमरों में बैठकर फर्जी निविदाओं को तैयार करने में लगे रहते है उनके खिलाफ बोलने की सजा क्या मुकदमेंबाजी की जायेगी। क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा नहीं होना चाहिये जो जनता की सेवा के लिये नियुक्त किये गए हों मगर जनता की समस्याओं के इतर फर्जी निविदाओं को बनाने में लगे रहते हों?
इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ तो सरकार व निगम आमजनता को डेंगू से स्रव जागरूक करने के लिये लाखों रुपये विज्ञापन व मुनादी के रूप में खर्च कर रही है वहीं दूसरी और निगम परिसर में मुख्य नगर आयुक्त की देखरेख में डेंगू का लार्वा पनप रहा है और जब कोई इसके खिलाफ आवाज उठाता है तो मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है। एक इंसान जो खुद सफाई करने नालों में उतर जाता है और सरकारी निककमें पन की पोल खोलता है और जनता की समस्याओं के समाधान के लिये हमेशा तैयार रहता है अब उसको जनहित की समस्याओं के लिये मुकदमेबाजी झेलनी होगी।

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