मनोज सैनी
नाबालिग से रेप के मामले में भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को 25 साल जेल की सजा सुनाई गई है। यूपी की दुद्धी विधानसभा सीट से विधायक रामदुलार पर सोनभद्र की एमपी/ एमएलए कोर्ट ने 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बलात्कार मामले में कोर्ट ने 12 दिसंबर को भाजपा विधायक को दोषी करार दिया था। इसके बाद रामदुलार गोंड को जेल भेज दिया गया था और आज 15 दिसंबर को सजा का एलान किया गया है। दोषी भाजपा विधायक पर जो 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, वो पीड़िता को पुनर्वास के लिए दिए जाएंगे।
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भाजपा विधायक पर बलात्कार का मुकदमा पिछले 9 साल से लगातार मुकदमा चला चल रहा था जिसमें 300 से अधिक तारीखें चलीं। पाठकों को बता दें कि घटना 4 नवंबर, 2014 शाम 7 बजे को है जब रेप पीड़ित बच्ची रोती हुई घर आई। उसने घरवालों को बताया कि रामदुलार गोंड ने उसका रेप किया है। तब वो विधायक नहीं थे, लेकिन रामदुलार गोंड की पत्नी म्योरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव की प्रधान थीं। यानी रामदुलार ‘प्रधानपति’ थे। गांव में चलती थी। पीड़िता के परिजनों ने थाने में गोंड के खिलाफ तहरीर दी। आरोपी विधायक गोंड पर आईपीसी की धारा-376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। गांव में गोंड का प्रभाव होने के चलते पीड़ित लड़की के परिवार द्वारा केस लड़ना मुश्किल था। इतना ही नहीं मुकदमे के दौरान आरोपी रामदुलार का राजनीतिक करियर आगे बढ़ रहा था। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में रामदुलार गोंड ने दुद्धी सीट जीत ली। पीड़ित परिवार का कहना है कि इससे उन पर दबाव और भी बढ़ गया था। पीड़िता के भाई ने बताया कि लगभग डेढ़ साल पहले विधायक ने मुझे फोन करवाया था। हमसे मामला वापस लेने के लिए कहा। परिवार के और लोगों को भी फोन आए। एक बार तो मेरी बहन को भी फोन किया और उससे कहा कि वो हमें केस वापस लेने के लिए मनाए। उसके विधायक बनने के बाद हम लोग और डर गए। हमें केस वापस लेने के लिए 25-30 लाख रुपये का भी ऑफर आया, मगर हमने इनकार कर दिया। हमने अदालत को सब बता दिया। परिवार का ये भी आरोप है कि गोंड ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार बच्ची का बलात्कार किया था। मेरी बहन तब बच्ची थी। वो डर गई थी क्योंकि गोंड का रसूख था। उसने मेरी बहन से कहा था कि अगर उसने परिवार में किसी को बताया, तो वो हम सब को मार डालेगा। पीड़िता के वकील विकास शाक्य ने बताया कि पीड़िता के साथ उन्हें भी केस लड़ने के दौरान कई तरह के दबाव का सामना करना पड़ा। रेप से पीड़िता गर्भवती हो गई थी। उसकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट कोर्ट में प्रेषित की गई थी। डीएनए जांच के लिए भी कहा गया था लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दिया था। दूसरे पक्ष ने इसे आधार बनाकर बचने की कोशिश की। रसूख का इस्तेमाल कर कई तरह से दबाव बनाने की कोशिश की। यहां तक कि पीड़िता के ससुराल जाकर भी धमकियां दी थीं। मगर पीड़ित पक्ष अपनी बात पर अडिग रहा और मुकदमे में लगातार पैरवी करता रहा। सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला हमारे हक में आया। पीड़ित महिला अब सोनभद्र में नहीं रहती। परिवार का आरोप है कि गोंड के परिवार वाले अब भी उन्हें धमकी दे रहे हैं। कह रहे हैं कि वो बदला लेंगे।
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