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एक्सक्लुसिव: पहले उखाड़ो, फिर बनाओ, फिर लगाओ और फिर उखाडों। हरिद्वार में विकास के नाम पर जनता के टैक्स के पैसे के दुरूपयोग का चल रहा है अनोखा खेल

मनोज सैनी
हरिद्वार। हरिद्वार में विकास के नाम पर पिछले कई सालों से खुदाई का काम चल रहा है। शहर की कोई गली, कोई सड़क ऐसी नहीं है जहां पर विकास के नाम पर खुदाई न हुई हो। खुदाई के कारण उड़ती धूल व सड़क में बने गड्डों के कारण आमजन का सड़कों व गलियों से निकलना दूभर हो गया है। कुम्भ शुरू होने की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है साथ ही कड़ाके की ठंड भी पड़ने वाली है। जिसमें सड़क निर्माण का कार्य नहीं हो सकता। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसी व्यवस्था में ही कुम्भ होगा? कुछ दिनों पहले उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया पर लिखा था कि त्रिवेंद्र सरकार कुम्भ का आयोजन कराने में फैल हो गयी है जिस कारण सरकार को अखाड़ा परिषद की शरण में जाना पड़ गया है। अखाड़ों के सन्त, महन्त भी जान चुके हैं कि त्रिवेंद्र सरकार कुम्भ कराने में सक्षम नहीं है और हरिद्वार की दशा को देखकर कई बार सन्तों ने खुलेआम अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है। सरकार ने सन्तों की नाराजगी को देखते हुए अखाड़ों व सन्तों को शांत करने के लिये 1-1 करोड़ देने की घोषणा की थी जिसकी पहली किस्त 40 लाख रुपये दी जा चुकी है। अब देखना यह है कि आखिर सरकार ने यह राशि किस मद में से दी है? और क्या सरकार किसी को भी इस प्रकार धनराशि दे सकती है।

अब बात करते है कि उखाडों, बनाओ, लगाओ, फिर उखाडों आखिर ये माजरा है क्या? तो आपको बता दें कि कुम्भ शुरू होने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और कुम्भ शासन व सरकार दिखाना चाहती है कि निर्माण कार्य तेजी से हो रहे है।

 

इसी के चलते अभी 2 दिन पूर्व ज्वालापुर के ऊंचे रेलवे पुल से बिजली की लाइन हेतु खोदी गयी सड़क पर बेस के साथ साथ टाइल भी लगाई जा चुकी थी लेकिन टाइल लगने के तीसरे ही दिन आज फिर से उन टाइलों को उखाड़ने का काम पुनः शुरू हो गया है। विकास के नाम पर गजब का खेल चल रहा है। अब सवाल बनता है कि जब टाइलों को उखाड़ना ही था तो उन्हें लगाया क्यों? वीडियो में आप देख सकते हैं कि अभी 2 दिन पूर्व ही उखाड़ी गयी टाइलों को लगाया गया था जिन्हें फिर से उखाड़ दिया गया है।

यह तो एक बानगीभर है कि आमजन के टैक्स के पैसों का विकास के नाम पर किस प्रकार दुरूपयोग किया जा रहा है। सरकारी विभागों में कोई ताल मेल नहीं है, आला अधिकारी हरिद्वार की बिगड़ती ,खस्ताहाल व्यवस्था को देखने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं अभी चन्द दिनों पूर्व जिलाधिकारी हरिद्वार ने विभागों और कार्यदाई एजेंसी को सख्त हिदायत दी थी कि बिना अनुमति को कोई भी सड़क नहीं खोदेगा लेकिन जिलाधिकारी के आदेशों को धत्ता बताते हुए भूमिगत बिजली लाइन डालने वालों ने आर्यनगर और उसके आस पास के क्षेत्रों में सड़क के दोनों और खुदाई कर डाली। पहले सुनते थे जब विकास होगा तभी नेताओं और अधिकारियों की जेबें गर्म होंगी लेकिन अब व्यवस्था दूसरी हो गयी है। अब तो विकास के नाम पर पहले खुदाई, फिर बनाई, फिर लगाई और फिर खुदाई करवानी पड़ती है।जिसमें ज्यादा काम भी दिखाई देता है और माल भी ज्यादा समेटा जाता है। हम भी अपने जीवनकाल में इस प्रकार का पहला कुम्भ देख रहे हैं जब विकास के नाम पर सम्पूर्ण हरिद्वार को खोद दिया गया लेकिन विकास कहीं भी दिखाई नहीं दिया।

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