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फैशन शो में बुर्के, हिजाब और अबाया में हुआ कैटवॉक, छिड़ा घमासान। जमीयत उलेमा मुकर्रम ने कहा बुर्का पर्दे के लिए बनाया गया है फैशन शो के लिए नहीं। पढ़िए पूरी खबर

मनोज सैनी

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद का श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेज एक फैशन शो को लेकर इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा इसलिए की कॉलेज में पिछले तीन दिनों से फैशन शो का आयोजन किया हुआ है जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने बुर्का पहनकर केट वॉक में हिस्सा लिया है।

फैशन शो के दौरान प्रमुख बॉलीवुड अभिनेत्री मंदाकिनी ने भी शामिल होकर अपना योगदान दिया है और इसके दर्शकों ने इसे देखने के लिए हजारों की संख्या में कॉलेज में पहुंचा। कार्यक्रम की थीम वैसे तो “बेटी बचाओं-बेटी पढाओ” रखी गई, लेकिन रैंप पर जब हिजाब में लड़कियों ने कैटवॉक कर दर्शकों को सलाम किया तो पूरी थीम के मायने ही बदल गए। बुर्कें में एक नहीं, बल्कि कई सारी लड़कियों ने कैटवॉक किया। इसका जैसे ही वीडियो सामने आया तो बुर्के के इस कैटवॉक पर घमासान छिड़ गया।[yotuwp type=”videos” id=”k7_jx3S9nGY” ]

फैशन शो के दौरान मुस्लिम महिलाएं हिजाब, बुर्का और अबाया में थीं। लोगों को इन महिलाओं के लुक ने बहुत प्रभावित किया और उन्हें काफी सराहा भी गया। शो के दौरान इन लड़कियों ने सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बना रखा था। हालांकि इस शो के बाद काफी विवाद उत्पन्न हुआ है। कई धार्मिक व्यक्तियों ने इस पर सवाल उठाए हैं। हालांकि इन महिलाओं के बहादुरी और आत्मनिर्भर दृष्टिकोण की भी काफी सराहना की जा रही है।

एक तरफ जहां बुर्कें में कैटवॉक करने वाली लड़कियां इसे क्रिएटीवी और अलग सी एक्टीविटी बता रहीं है तो वहीं दूसरी तरफ जमीयत उलेमा ने हिजाब में कैटवॉक को सरासर गलत ठहराते हुए घोर विरोध किया है। जमीयत उलेमा के जिला कंवीनर मौलाना मुकर्रम काजमी का कहना है कि स्कूल की छात्राओं को बुर्के में कैटवॉक करना पूरी तरह से गलत है, क्योंकि बुर्का महिलाओं की आन, बान और शान का प्रतीक है। इसे केवल पर्दे के लिए उपयोग किया जाना चाहिए, न कि फैशन के लिए।

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उनका कहना है कि श्रीराम कॉलेज में छात्रों और उनके उस्तादों ने इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित करने से मुसलमान समुदाय को ठेस पहुंची है। स्कूलों को इस प्रकार की गतिविधियों से बचना चाहिए। मौलाना मुकर्रम ने स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर से अपील की है कि ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित करने पर ध्यान दें, लेकिन धर्मिक भावनाओं का आदर करते हुए किसी भी समुदाय को ठेस पहुंचने से बचें। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो जमीयत उलेमा इस पर कार्रवाई कर सकती है। बुर्का को सिर्फ पर्दे के लिए बनाया गया है और इसे फैशन का हिस्सा बनाने से बचना चाहिए।

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