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मेला प्रशासन की गलत नीतियों से तीर्थयात्रियों और आम नागरिकों को हुई असुविधा: श्रीकांत वशिष्ठ

सुनील मिश्रा
हरिद्वार। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ ने हरिद्वार कुंभ मेले में बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों और स्थानीय आम नागरिकों को हुई असुविधा पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। राष्ट्रीय महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा की एक और मेला अधिकारी एवं मेला आईजी एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दे रहे हैं वहीं दूसरी और हरिद्वार में आने वाले श्रद्धालु तीर्थयात्री जो लंबी लंबी दूरी तय करके मां श्री गंगा जी का स्नान पूजा करने को अपने पूर्वजों का अस्थि प्रवाह कर्मकांड करने श्रद्धा भाव से हरिद्वार आते हैं उनको कई कई किलोमीटर पैदल घुमाकर मुख्य स्थल हर की पौड़ी नहीं पहुंचने देने का पाप किया है। सभी जानते हैं कि भारतवर्ष के कोने-कोने से श्रद्धालु तीर्थयात्री हरकी पौड़ी पर स्नान एवं अस्थि विसर्जन करने आते हैं क्योंकि उक्त स्थल का प्राचीन धर्म ग्रंथों में महात्म है तथा पुराणों में ऐसा कहा जाता है कि हरकी पौड़ी पर अमृत कुंड है। इस अमृत कुंड में प्रति 12 वर्ष बाद अमृत की बूंद छलकती है। इसीलिए इस अमृत की बूंद के बाद पहला स्नान करने का अधिकार साधु सन्यासियों को दिया गया है तथा उसके बाद ग्रहस्थी को स्नान करने का अधिकार है। विदित हो कि सन 2010 के कुम्भ के मुख्य पर्वों के दिन क्रमशः स्नान के बाद श्रद्धालुओं को स्नान करने दिया जाता था। स्नान कराने में प्रशासन को भारी मशक्कत परेशानी करनी पड़ती थी। इसलिए इस परंपरा को ध्वस्त करने का पाप मेला प्रशासन ने किया है जो कभी माफ नहीं किया जा सकेगा।

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