
प्रभुपाल सिंह रावत
रिखणीखाल। पैनो घाटी का क्षेत्र रथुवाढाब- गाडियू पुल- कोटडीसैण- पाणीसैण- रिखणीखाल में वर्तमान में केवल एक ही बस सेवा गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड कोटद्वार द्वारा चलाया जा रही है जो कि प्रातः 10:30 बजे कोटद्वार से प्रस्थान कर सायंकाल चार बजे अपने गन्तव्य रिखणीखाल पहूँचती है।जो कि क्षेत्र की जनसंख्या,दूर दूर छिटके व फैले हुए गाँवो के लिए पर्याप्त व सुलभ नहीं हो पा रही है।उसकी क्षमता व आकार बनावट की कम व छोटा रहता है। याद दिला दें इससे पूर्व के बरसों में एक बस सेवा प्रातः पांच बजे कोटद्वार से रथुवाढाब, गाडियू पुल, कोटडीसैण, रिखणीखाल जाती थी वह जीएमओयू प्रशासन द्वारा काफी लम्बे समय से स्थगित व बन्द कर दी गई है जिसके बन्द होने से इलाक़े की जनता में आक्रोश है जो दिन भर दिन उग्र रूप लेता जा रहा है।
आजकल इलाके में शादी ब्याह, चारधाम यात्रा, हरिद्वार स्नान, पौराणिक मेले, पिण्ड दान, पूजा आराधना आदि कार्य भी हो रहे हैं। प्रवासी अप्रवासी बन्धुओं का आना जाना भी इसी सीजन में अधिक होता है। यहां की जनता अधिकतर प्राइवेट टैक्सी सर्विस पर ही निर्भर व टिकी है,लेकिन वे भी आजकल शादी-विवाह, धार्मिक अनुष्ठान आदि कार्यों में आरक्षित हैं जिससे पैनो घाटी की यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है। लोग घंटो घंटो तक यात्री शैड पर अपना थैला व सामान कंधे में लटकाये देखे जा सकते हैं।आजकल स्थानीय मेलों का भी सीजन है। इस क्षेत्र में मुच्छेलगाव, ढौटियाल, गाडियू पुल,बसिमलसैण, चैबाडा पाणीसैण, बंजा देवी, बसु स्यार आदि दर्जनभर मेले होते हैं जिससे इलाके में भीड भड़का और बढ जाता है।
जो बस सेवा 10:30 बजे कोटद्वार से रिखणीखाल जाती है वह भी आकार में छोटा होने के कारण 27-28 यात्री ही सीट पर बैठते हैं। भीड़तंत्र ज्यादा होने के कारण मजबूरन चालक को बस की छतों पर बैठाना होता है जिससे कई बार बस से टकराते बिजली की तारें, पेडों की कंटीली टहनियों आदि से चोटिल होते हैं। क्या इसी दुर्घटना का इन्तजार किया जा रहा है? इस गर्मी के सीजन में ठसाठस बस में दुधमुंहे बच्चे, वृद्ध जनों की चीख पुकार, एक दूसरे के ऊपर उल्टी आदि आसानी से सुनी व देखी जा सकती है।
अब क्षेत्रीय जनता की शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों व जीएमओयू लिमिटेड के प्रबन्धक से अनुरोध है कि इस पैनो घाटी रथुवाढाब- गाडियू पुल, पाणीसैण मार्ग पर पूर्व की भांति प्रातःकालीन बस सेवा पांच बजे चलती थी उसे सुचारू रूप से चालू करे वरन् क्षेत्रीय जनता को न चाहते हुए भी सडकों पर जन आन्दोलन को उतरना पड़ सकता है। एक कहावत है कि ” मरता क्या नहीं करता”। इलाके के लोग यातायात के अभाव में परेशान, व्यथित हैं। क्या शासन प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे लोग व नुमाइंदे इस पर गौर करेंगे?
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