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लक्सर सीएचसी में डिलीवरी के लिये आ रही महिलाओं के परिवारजनों से अवैध वसूली का आरोप, नहीं देने पर करते है अभद्र व्यवहार

लक्सर ब्यूरो

हरिद्वार। लक्सर सीएचसी में डिलीवरी के लिए आई महिलाओं के परिजनों से लूट खसोट का मामला प्रकाश में आया है। विश्वस्त सूत्रों ने जानकारी मिली है कि यहां पर हर डिलीवरी के लिये आने वाली प्रत्येक महिला से 2000 से 3000 रुपये तक कि अवैध वसूली की जाती है।

ऐसा ही एक मामला आज सामने आया है जिसमें पीड़ित मनजीत कुमार निवासी ग्राम शेरपुर, बादशाहपुर, लक्सर हरिद्वार ने सीएचसी लक्सर में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा की जा रही अवैध वसूली को लेकर एसडीएम व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लिखित में एक शिकायती पत्र दिया है जिसमें मनजीत ने लिखा है कि उसकी पत्नी गर्भवती थी और जिसे 25 अक्टूबर की रात करीब 11:40 पर डिलीवरी पेन होना शुरू हो गया था जिस पर उसने एम्बुलेंस के लिये 108 पर काल किया, जिसके बाद करीब 12:00 बजे एम्बुलेंस उसके निवास स्थान पर पहुंच गई। एम्बुलेंस के साथ आए ड्राइवर व फार्मासिस्ट ने प्रार्थी व प्रार्थी की पत्नी के साथ अभद्र व्यवहार करना शुरू कर दिया और प्रार्थी से कहा कि आप जैसे जलील और गंवार लोग फ्री के चक्कर में लगे रहते हैं और हमें रात को परेशान करते हैं तथा रात को भी चैन से सोने नहीं देते। हमें अपनी जेब से गाड़ी का मेंटेनेंस कराना पड़ता है और तेल डलवाना पड़ता है। आप जैसे गांव की गंवार लोग समझते हैं कि इन सब का वहन सरकार करती है। इसके बाद प्रार्थी ने अपनी पत्नी की बिगड़ती हालत को देखते हुए फार्मासिस्ट महेश और ड्राइवर से कहा कि भाई मेरी पत्नी की हालत नाजुक है। कृपया आप इसे अस्पताल लेकर चले। इस पर फार्मासिस्ट महेश और भड़क गया और कहने लगा कि आप के मरीज की ठेकेदारी मुझ पर नहीं है और तुम बहस कर रहे हो अभी चेतक वालों को बुलाकर तुम्हें मजा चखाता हूं। प्रार्थी के प्रार्थी के परिवार वालों ने मरीज की बिगड़ती हालत को देखते हुए एंबुलेंस वालों की हाथ जोड़कर विनती की कि आप पहले मरीज को लेकर चले नहीं तो यह मर जाएगी। जिसके तकरीबन 20 मिनट बर्बाद करने के बाद प्रार्थी की पत्नी को एंबुलेंस में लिटा कर लक्सर सामुदायिक अस्पताल लाया गया। अस्पताल जाने के बाद फार्मासिस्ट महेश ने रात की पाली में तैनात महिला चिकित्सक के कान भरना शुरू कर दिया और महिला चिकित्सक से से कहा कि लोग बहुत होशियार बन रहे हैं। इनके मरीज को भर्ती नहीं करना, चाहे क्यों ना मर जाए और कुछ भी बहाना बनाना पड़े। प्रार्थी ने महिला चिकित्सक से हाथ जोड़कर कहा कि मेरी पत्नी को की हालत बहुत नाजुक है और उसे असहनीय असहनीय डिलीवरी पेन हो रहा है। कृपया उसे भर्ती कर लो नहीं तो वह मर जाएगी लेकिन महिला चिकित्सक ने प्रार्थी की एक न सुनी।

प्रार्थी ने महिला चिकित्सक की बहुत मिन्नतें की लेकिन महिला चिकित्सक ने उसकी एक उसकी न सुनी। कुछ देर बाद ही प्रार्थी की पत्नी को बच्चा अस्पताल के बाहर सड़क पर ही हो गया। फिर प्रार्थी ने महिला चिकित्सक से गर्म लहजे में कहा कि अब मैं तुम सब की शिकायत करूंगा जिसके बाद महिला चिकित्सक ने प्रार्थी की पत्नी को अस्पताल में भर्ती किया। भर्ती करने के बाद महिला चिकित्सक ने प्रार्थी से इनाम कहकर पैसों की मांग की। प्रार्थी ने महिला चिकित्सक को ₹1000 दिए किंतु महिला चिकित्सक ने कहा इनमें क्या होगा तो प्रार्थी ने महिला चिकित्सक को ₹2000 दिए। अस्पताल में पहले से भर्ती महिलाओं ने प्रार्थी को बताया कि अस्पताल कर्मियों ने उनके साथ भी अभद्र व्यवहार और इनाम इलाज खर्च कहकर उनसे पैसे वसूले हैं। प्रार्थी पूरी रात अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में रहा तो देखा कि न तो कोई अस्पताल कर्मी मरीज को देखने आता है और ना ही कोई चिकित्सक। अगले दिन में भी कोई चिकित्सक मरीजों का हाल जानने वार्ड में नहीं आया। दिनांक 26 अक्टूबर को तकरीबन 3:30 बजे प्रार्थी की पत्नी को तीन महिला चिकित्सकों जिनमें से एक का नाम रजनी ने डिस्चार्ज कर दिया और कहा कि यहां से भागो। प्रार्थी ने कहा महोदय गाड़ी तो बुला दो तो महिला चिकित्सा ने कहा कि मुफ्तखोरों और गंवारों के लिए यहां गाड़ी की कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही यहां गाड़ी उपलब्ध है। यह कहकर प्रार्थी की पत्नी व चंद घंटों की उसकी बेटी और प्रार्थी को निर्दयता से अस्पताल के बाहर कर दिया। प्रार्थी की पत्नी बेटी को लेकर अस्पताल के बाहर बैठे तो वहां से मनोज कुमार एडवोकेट जा रहे थे उन्होंने प्रार्थी से पूरी घटना की जानकारी ली और प्रार्थी प्रार्थी की पत्नी व बच्चों को अपनी कार में बिठाकर घर छोड़कर आए। इस पूरे घटनाक्रम में सरकारी चिकित्सा कर्मियों की कार्यशैली सामने आई है जिससे प्रार्थी की पत्नी की जान मुश्किल बची है जिस से प्रार्थी बहुत क्षुब्ध व हताश पास है। यह तो एक मामला है न जाने इस प्रकार के कितने मामले होंगे।

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