
मनोज सैनी
हरिद्वार। कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए सार्वजनिक स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों को अतिक्रमण मानते हुए प्रशासन द्वारा जोर शोर से ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जा रही है। विगत दिनों जिलाधिकारी के आदेश पर वर्षों पुरानी या यूं कहें कि आजादी से पूर्व बनी आर्यनगर से कनखल रोड पर चंदन वाले पीर की मजार को भी बुलडोजर से ढहा दिया गया जिससे मुस्लिम समाज में भारी आक्रोश है। अब मुस्लिम समाज के लोगों ने सोशल मीडिया पर जिला प्रशासन से मांग की है की दुर्गा नगर चौक के निकट सरकारी जमीन पर बने नवनिर्मित मंदिर व भेल सीआईएसएफ के द्वार पर बने मंदिर भी सड़क पर अवरोध पैदा कर रहे हैं इसलिए प्रशासन इन अवैध रूप से बने मंदिरों पर भी अपनी नजर डाले और उन पर भी नियमानुसार ध्वस्ती करण की कार्यवाही करें।
वरिष्ठ पत्रकार अहसान अंसारी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है की प्रशासनिक कार्रवाई के इंतजार में दुर्गा घाट के निकट सरकारी भूमि पर निर्मित वर्ष 2020 में बनी कथित धार्मिक संरचना।
ज्वालापुर दुर्गा घाट पर सरकारी जमीन पर बनी यह कथित धार्मिक संरचना इसका निर्माण वर्ष 2020 में किया गया है फोटो में तिथि और समय अंकित है प्रशासन से मेरा सवाल है की माननीय उच्च न्यायालय का यह आदेश जिस आदेश को आधार बनाकर चंदन वाले मजार को हटाया गया है इस कथित धार्मिक संरचना पर जिसका उपयोग आवासीय के रूप में किया जा रहा है क्या वह आदेश यहां लागू होता है या उच्च न्यायालय के आदेश की सीमा मजार पर जाकर ही खत्म हो जाती है।
इसी प्रकार गुलाम रसूल अंसारी ने भेल शिवालिक नगर में CISF के गेट के बगल में एक मन्दिर है वो भी सरकारी जमी पर रास्ते पर है उसपर कोई कार्यवाही होगी जबकि इस मन्दिर की वजह से जाम का सामना करना पड़ता जनता को क्या प्रशासन की तरफ से कोई कार्यवाही होगी या सिर्फ मस्जिद मजारों पर ही कार्यवाही होगी या सिर्फ मुस्लिम लोगो और इनसे जुड़ी हुई चीजों पर।
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