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विवादों में पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन द्वारा साईकिल रेस का आयोजन: प्रथम स्थान पाने वाले प्रतिभागी को किया डिस्क्वालिफाई, पढिये पूरी खबर

मनोज सैनी
हरिद्वार। पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन द्वारा गांव सुभाषगढ में 30 अप्रैल दिन शनिवार को साईकिल रेस का आयोजन किया गया जिसमें एजुकेशनल फाउंडेशन ने पुरस्कार रखें। पहला 3100, दूसरा 2100, तीसरा 1100, जिसमें विभिन्न स्थानों से आये प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। फाउंडेशन ने साईकिल रेस में प्रतिभाग करने वाले प्रत्येक प्रतिभासगी से 300 रुपये शुल्क वसूल किया। कब दिलचस्प बात यह है कि पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन द्वारा साईकिल रेस में जतिन सैनी नामक प्रतिभागी प्रथम स्थान पर आया आयोजकों ने उसे डिस्क्वालिफाई कर दिया। इस पर जतिन ने आयोजकों के खिलाफ ऐतराज जताया मगर आयोजकों ने उसकी एक बात नहीं सुनी।

डिस्क्वालिफाई हुए प्रतिभागी जतिन सैनी ने फोन पर बताया कि उसमें प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया था और ये सुनिश्चित भी हो गया था। परंतु कुछ मिनट बाद उसे फाउंडेशन के लोगों ने अपने कक्ष में बुलाया और उस पर प्रतियोगिता में धोखा धाड़ी करने का आरोप लगाया। इस पर जतिन सैनी का कहना था कि इस पूरी साईकिल रेस प्रतियोगिता की लाइव रेकॉर्डिंग हो रही थी और उसमें ऐसे कोई सबूत नहीं मिले जिससे ये साबित होता है कि उसने रेस में धोखाधड़ी की है।

इतना ही नहीं जब हमने रेस में द्वितीय व तृतीय स्थान पर आये प्रतिभागियों अभिजीत व मनीष से फोन पर इस सम्बंध में पूछा तो उन्होंने बताया कि इस तरह की कोई धोखाधड़ी नहीं देखी है। उन्होंने यहां तक बताया कि जतिन सैनी हमसे काफी आगे था। इस संदर्भ में जब पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन व आयोजकों से बात की तो उन्होंने बताया कि रेस के अंत में खड़े लोगों ने कहा कि जतिन के साथ एक स्कूटी वाला चल रहा था जिस कारण जतिन ने धोखा धड़ी की है। इस कारण उसे डिस्क्वालिफाई किया गया। जबकि द्वितीय और तृतीय स्थान पर आए प्रतिभागियों ने बताया कि जतिन ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है और उसने ईमानदारी से साईकिल रेस को जीता था।
जतिन सैनी ने बताया कि जो लड़के उसके और अन्य प्रतिभागियों के साथ चल रहे वे एकेडमी द्वारा लाए गए वॉलिंटियर्स थे। उन्होंने भी इस प्रकरण पर बहुत खेद जताया है और पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन के ऊपर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इतना ही नहीं जतिन ने बताया कि इस प्रकरण के बाद वह अपने घर आ गया और लगभग 11-12 बजे पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन द्वारा 2 लड़कों को उसके घर भेजा जिन्होंने जबरदस्ती दुकान में रखे पेटीएम में 300 रुपये डाल दिए और साथ में धमकी देते हुए कहा कि अब यह प्रकरण खत्म हो गया। इस प्रकरण में जतिन का कहना है कि जो लड़के उसके घर धमकी देने आए थे वे पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन में कार्यरत मैनेजमेंट के रिश्तेदार थे। इस पूरे प्रकरण को जतिन सैनी ने सोशल मीडिया पर भी डाला है और इस प्रकरण उसने पराशर एजुकेशनल फाउंडेशन से जवाब भी मांगा है और सन्तोषजनक जवाब ने मिलने पर वह एकडेमी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी करने की बात कह रहा है। अब सवाल उठता है कि एकडेमी द्वारा प्रतिभागियों से शुल्क लेकर इस प्रकार की करतूतों से क्या बच्चों का भविष्य होगा, क्या उनकी मानसिकता बनेगी।

जतिन सैनी

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