आज के समय में यह राजनीतिक मजबूरी सी है। आपदाग्रस्त, दुख से बिलखते परिवार के पास नेता जी लोग जाते हैं। चेक या अनुग्रह राशि देते हैं, रोते-दुखी होते परिजनों के साथ फोटो खिंचाते हैं ताकि सनद रहे कि हम गए थे। उनके इस बर्ताव में भाव यही होता है कि… जनता जनार्दन देखिए हम सबसे पहले गए थे, हमने सबसे पहले सुध ली, हमने सबसे पहले सहायात राशि दी। इस सबके बीच पीड़ित परिवार को कैसा लग रहा होगा इतनी संवेदनशीलता की जरूरत नहीं समझी जाती।
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आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गये। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय 50 लाख के चेक लेकर उनके घर पहुंचे थे और फोटो खिंचावाने लगे। इस पर उनकी मां बिलख पड़ीं और कहने लगी कि ”मेरे लिए प्रदर्शनी मत लगाओ। मत करो। मत करो। मेरे प्यारे बेटे को बुला दो। मेरे दुनिया खत्म हो गई। मेरा सबकुछ खत्म हो गया। मेरे बेटू शुभम आ जा…” बुरी तरह रोती बिलखती शहीद शुभम की मां के ये शब्द किसी के कलेजे को चीरकर रख देंगे।
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