Apne log news

No.1 news portal of Uttarakhand

घाटों की साफ सफाई के बाद किया जूना और महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने गंगा स्नान

सनत शर्मा
हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के प्रस्थान करने के बाद तुरंत ही ब्रह्मकुंड घाट पर साफ सफाई करवाई गई जल पुलिस लगातार समय से सन्यासियों को स्नान करके भेजने में सहयोग कर रही हैं। निरंजनी अखाड़े के बाद जूना अखाड़ा हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर शाही स्नान करने पहुंचा। जूना अखाड़ा वह अखाड़ा है जिसे नागा साधुओं की संख्या के मामले में सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है। जूना अखाड़े में करीब चार लाख सन्यासी हैं। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं। जूना अखाड़े को सबसे रूद्र अखाड़ा भी कहा जाता है। जूना अखाड़े के हरकी पौड़ी पहुंचने पर पूरा घाट हर हर मां गंगे के नारों से गुंजायमान हो गया। शंख की ध्वनि ने वातावरण को और भी मनमोहक बना दिया। भस्म लपेटे इन नागा सन्यासियों को देखकर आप भारतीय परंपरा के एक अलग रूप से परिचित होंगे। जूना अखाड़े के इष्ट देव भगवान दत्तात्रेय हैं जोकि रुद्रावतार है। इस अखाड़े के अंतर्गत आवाहन, अलखिया व ब्रह्मचारी भी हैं। जूना अखाड़े से ही अनुबंधित किन्नर अखाड़ा ने जूना अखाड़े के प्रमुख सन्यासियों के स्नान के बाद शाही स्नान के लिए मां गंगा में डुबकी लगाई किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर श्री लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ ही अन्य सभी किन्नर संतो ने शाही स्नान में भाग लिया।

शाही स्नान के दिन हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड घाट पर स्नान के तीसरे क्रम में श्री महानिर्वाणी अखाड़ा पहुंचा। अखाड़े के पहुंचने से पहले घाटों की पूर्ण रूप से साफ सफाई करवाई गई महानिर्वाणी अखाड़ा शैव संप्रदाय का अखाड़ा है। इस अखाड़े के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज है।इसका केंद्र हिमाचल प्रदेश के कनखल में है इस अखाड़े की अन्य शाखाएं प्रयाग, ओमकारेश्वर, काशी, त्रयंबक उज्जैन व उदयपुर में है। यहाँ भस्म में लिपटे नागा सन्यासियों का दिव्य स्वरूप देखने को मिला। हर हर महादेव के नारों के साथ नागा संन्यासियों को स्नान करते हुए देखना एक अलग ही प्रकार का रोमांच से भर देने वाला एहसास है। नागा संन्यासियों को स्नान करने के बाद समय से मां गंगा से बाहर निकाल कर वापस अखाड़ों में भेजने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है। आपको बताते चलें कि इस अखाड़े की स्थापना सन 805 में हुई थी। आवाहन और अटल अखाड़े से जुड़े आठ संतो ने मिलकर इस अखाड़े की स्थापना की थी इस अखाड़े के इष्ट कपिल देव भगवान हैं इस अखाड़े में दो भाले हैं जिनका नाम भैरव प्रकाश व सूर्य प्रकाश है। शाही स्नान की यात्रा में सबसे आगे अखाड़े के दो संत इन शक्ति स्वरूप भालो को लेकर चलते है। सबसे पहले स्नान भी इन भालो को ही कराया जाता है।

अधिक पढ़े जाने वाली खबर

Share
error: Content is protected !!