
मनोज सैनी
हरिद्वार। हरिद्वार में 2021 में आयोजित होने वाले कुम्भ मेले को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की एक महत्वपूर्ण बैठक आज नया उदासीन अखाड़े में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता मेंं आयोजित की गई।
बैठक में सभी तेरह अखाड़ों के साधु संतों ने निर्णय लिया कि 2010 की तर्ज पर ही 2021 महाकुंभ भी आयोजित किया जाएगा। अखाड़ा परिषद की बैठक में कुंभ कार्यों को लेकर भी नाराजगी जाहिर की गई है और इसको लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मेला अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया अखाड़ा परिषद द्वारा मुख्यमंत्री और मेला अधिकारी को प्रयागराज माघ मेले का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया है और उसी की तर्ज पर हरिद्वार कुंभ मेले को करने की मांग की गई है। अखाड़ा परिषद ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार कोई व्यवस्था नहीं करती है तो अखाड़े अपनी तरफ से ही व्यवस्था करनी शुरू कर देंगे।
मीडिया को बैठक की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक नया उदासीन अखाड़े में संपन्न हुई है। बैठक में अखाड़ा परिषद द्वारा निर्णय लिया गया है हरिद्वार में आने वाला कुंभ 2010 की तर्ज पर ही 2021 महाकुंभ आयोजित किया जाएगा। जिसमें सभी अखाड़ों के महंत, श्रीमहन्त, महामंडलेश्वर, रामानंदाचर्य, शंकराचार्य और संत महात्मा सभी आएंगे। सरकार का कार्य है व्यवस्था को करना। मगर अभी तक कोई भी कार्य शुरू नहीं हुई है। इन कार्य से अखाड़ा परिषद संतुष्ट नहीं है इसको लेकर हमारे द्वारा मेला अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन दिया गया है। प्रयागराज माघ मेले की तर्ज पर ही हरिद्वार का कुंभ मेला भी कराया जाए। इनका कहना है कि हमारे द्वारा एक तारीख को मुख्यमंत्री और मेला अधिकारी को प्रयागराज में माघ मेले के निरीक्षण के लिए आमंत्रण दिया है जिससे कि वह देख सके वहां किस किस तरह से कार्य हो रहा है। नरेंद्र गिरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री परंपराओं का पालन कर रहे हैं उसी की तर्ज पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी परंपराओं का पालन करें। इस बैठक में हमने निर्णय लिया है कि कुंभ मेला दिव्य और भव्य होगा और सभी व्यवस्थाओं के साथ होगा कुंभ में अखाड़ों को एक जनवरी को जमीन देने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने की परंपरा है अगर सरकार द्वारा नहीं किया जाता है तो अखाड़ा परिषद प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्र, गृह मंत्री से मुलाकात करेगा और उन से निवेदन करेंगे हमारी परंपरा को निर्वहन करने का कार्य किया जाए। इनका कहना है कि अगर सरकार अखाड़ों में व्यवस्था कराने में सक्षम नहीं है तो अखाड़े अपनी तरफ से सभी व्यवस्थाएं करने के लिए तैयार है। वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरी का कहना है कि प्राचीन काल से ही अखाड़े कुंभ मेले में अपनी तरफ से व्यवस्था करते थे। सरकार द्वारा अगर कुंभ मेले में अखाड़ों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती है तो अखाड़े अपनी तरफ से ही बिजली, पानी और टेंट की व्यवस्था करेंगे और यह सारी व्यवस्था करने के बाद हरिद्वार में लगने वाले कांवड़ मेले के लिए यह सब कुछ छोड़कर चले जाएंगे।
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