
मनोज सैनी
हरिद्वार। देवभूमि सिविल सोसाइटी उत्तराखंड द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार आज सोसाइटी के कार्यकर्ताओं ने राज्य में अवैध रूप से संचालित हो रहे ऑनलाइन जुए, नेट चकरी, नशा और अवैध शराब के कारोबार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने हेतु व युवा पीढ़ी को बचाने हेतु देवपुरा चौक पर प्रदर्शन करने के साथ साथ नगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से उत्तराखंड की राज्यपाल को एक ज्ञापन भी दिया।
ज्ञापन में बताया गया कि राज्य में संचालित सरकार को लगातार पत्रों व ज्ञापनों के माध्यम से अवगत कराया जाता रहा विशेषकर हरिद्वार शहर में जिस प्रकार से नशे व जुए का अवैध कारोबार लगातार तेजी से बढ़ रहा है जिस कारण युवा पीढ़ी तबाह व बर्बाद हो रही है, अभिभावक परेशान और हताश हैं, समाजसेवी चिंतित और निराश हैं और सरकार व उसके अधिकारी गांधीजी के तीन बंदरों की तरह अपना आंख, कान व मुंह बंद के हुए हैं। ज्ञापन में बताया गया है कि कोरोना काल में सभी प्रकार की व्यवसायिक, सामाजिक गतिविधियां बंद थी, लोग खाली बैठकर मोबाइल और टीवी के सहारे अपनी दिनचर्या पूरी करने को मजबूर थे। ऐसे में आपदा को अवसर में बदलते हुए कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ऑनलाइन जुआ चलाकर धन कमाने का शॉर्टकट तरीके का प्रचलन आरंभ हुआ, जो देखते-देखते युवाओं के दिलों दिमाग पर हावी हो गया, लॉक डाउन की स्थिति खत्म होने के बाद भी व्यवसायिक व शैक्षिक गतिविधियां प्रारम्भ नहीं हो पायी, जिस कारण युवा वर्ग अपने मोबाइल के माध्यम से ही जुड़ा रहा। इसका परिणाम यह हुआ कि युवा वर्ग मोबाइल के माध्यम से संचालित होने वाले जुए के व्यापार से जुड़ता चला गया और इस व्यवसाय में ऐसा फंसा कि उसने धीरे-धीरे अपने घर की आर्थिक स्थिति को जमीन पर ला पटका क्योंकि इसके लिए घर से बाहर निकलना जरूरी नहीं है, घर में बैठकर भी संचालित हो सकता है तथा माता पिता जो इस तकनीकी ज्ञान से अनभिज्ञ होते हैं उनके अपने बच्चे अभिभावकों के खातों की जानकारी कर उनके खातों में जमा धन ऑनलाइन भुगतान कर जुए में लगा देते हैं। जब तक वे इस खेल को समझ पाते हैं तब तक उनका अपना वारिस खाते की सारी रकम उड़ा चुका होता है। ऐसे में अभिभावकों के पास अपना सिर पीटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।
ज्ञापन में लिखा गया है कि ऑनलाइन जुए का कारोबार 24 घंटे संचालित रहता है और प्रत्येक दिन खुलता है जिसमें लाखों करोड़ों रुपए हारे और जीते जाते हैं। हरिद्वार जिले में एक अकेला व्यक्ति इस कारोबार को अपने 250 सहयोगियों के साथ संचालित कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि जब पुलिस किसी अपराधी तक पहुंच जाती है तो उसको पकड़ने की बजाय कारोबार में अपनी हिस्सेदारी तय कर लेती है। पूर्व में कई बार इस खेल को संचालित करने वालों की सूची भी पुलिस अधिकारियों को दी गई लेकिन उसका कोई सकारात्मक परिणाम हासिल नहीं हो पा रहा है। पुलिस प्रशासन इस कृत्य को रोकने में अपनी इच्छा शक्ति और साहस नहीं दिखा पा रहा है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी
राज्य सरकार के स्तर से इस प्रकरण में अभी तक कोई संज्ञान ले जाने का संकेत नजर नहीं आ रहा है, जिस कारण पुलिस प्रशासन भी हाथ पर हाथ रखे बैठा है और इस अवैध कारोबार में जुड़ने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इसी प्रकार तीर्थनगरी हरिद्वार में भी अवैध नशे का कारोबार फल-फूल रहा है। हद तो यह है कि पुलिस की भागीदारी में अवैध शराब की होम डिलीवरी भी शुरू हो गई है। असामाजिक तत्व युवाओं को बहला-फुसलाकर शुरुआत में मुफ्त में नशा कराते हैं धीरे-धीरे युवा नशे का आदी होता चला जाता है तो उसे महंगे दाम पर नशा बेचना शुरू करते हैं और नशे का शिकार हुआ युवा धीरे-धीरे घर का सारा धन यहां तक कि कीमती सामान भी साफ कर देता है और पूरा परिवार हताश और निराश हो जाता है परिवार के लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं और अंत में आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर हो रहे हैं। अवैध रूप से संचालित हो रहे नेट चकरी गेम, नशा, अवैध शराब के उत्पादन एवं वितरण के कारोबार पर रोक लगाने की मांग कर धरना प्रदर्शन करने वालों में मुख्य रूप समाजसेवी जेपी बडोनी, पंडित अधीर कौशिक, भागवत आचार्य पवन कृष्ण शास्त्री, पंडित विष्णु शर्मा, विनोद मिश्रा, नारायण शर्मा, महेंद्र पुरोहित, मानव शर्मा, दीपक शर्मा, नरेश ठाकुर, अश्वनी सैनी, सुनील प्रजापति, दिनेश जोशी प्रमुख थे।
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