विकास झा
हरिद्वार। मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि हरिद्वार कहने को तो तीर्थ स्थल है, परन्तु यहाँ जिस हिसाब से आश्रमों को कब्जाने के लिए भू-माफियाओं का वर्चस्व हो गया है, जिसमें राजनीतिक दल भी शामिल हैं और एक संस्था, जो अपने आप को धर्म का ठेकेदार समझती है, वह सभी आश्रमों को कब्ज़े में ले लेना चाहती है। हरिद्वार में यह खेल चलता रहा है। हम ये बहुत जगह देख चुके हैं, प्राचीन अवधूत मंडल में भी देखा, इसके अलावा भी बहुत-सी घटनाएं हो रहीं हैं और इस ढंग की बातें सब ऐसी हैं कि आप लोगों को पता ही होगा। अखाडा परिषद् के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी जी को आत्महत्या तक करनी पड़ी, अब क्यूँ किये, कैसे किये, मैं नहीं जानता लेकिन सब विवाद यह प्रॉपर्टी का किसी न किसी रूप में चलता रहा है और हम इस सब से अंजान रहते हैं। जब तक हमारे संज्ञान में कोई चीज़ न आये, तब तक हम किसी बात को उठाते नहीं हैं लेकिन हम यह देख रहे हैं कि हरिद्वार एक तरह से कुछ तथाकथित संत, जो संत की गरिमा को तो नहीं रखते हैं लेकिन संत का चोला ज़रूर पहनते हैं और नाना प्रकार की बातें हो रहीं हैं।
अब इस मामले में कहाँ क्या है, हम इससे पूरे तरीके से परिचित नहीं हैं। इस घटना का पता हमें कल चला था, लेकिन चूँकि हमें यह दुसरे सोर्स से पता चला था, इसलिए मैंने इसे उठाना ठीक नहीं समझा। जबतक मेरे संज्ञान में कोई चीज़ सीधा नहीं आये, तब तक उस बात को हम लेते नहीं है, और यह बात मेरे संज्ञान में जब आ गयी, तब एक प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते मेरा यह कर्त्तव्य है कि मैं इस मेसेज को सब जगह दे दूँ और थाना-पुलिस को भी सूचना दे दूँ कि आवश्यक एहतियाती कदम उठा लें ताकि कोई अनहोनी घटना न घटे। मैं मेसेज पढ़कर आप लोगों को सुना दे रहा हूँ। यह मेसेज मातृ सदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद और ब्रह्मचारी दयानंद के मोबाइल पर आया है।
“मैं श्री दुर्गेश आनंद सरस्वती ,शिष्य ब्रह्मलीन स्वामी कल्याणा नंद सरस्वती।
महन्त मानव कल्याण आश्रम कनखल हरिद्वार ,बद्रीनाथ धाम।
मेरे आश्रम के एक ट्रस्टी स्वामी देवानंद सरस्वती और उनका शिष्य स्वामी हर्षा नंद सरस्वती दोनो मुझे मानसिक तनाव दे रहे हैं और धमकी भी दे रहे हैं ।
मुझे इन से डर लग रहा है कि कही ये मुझे जान से मार न दे। मेरे नाम से झूठा और गलत प्रचार कर के मुझे मानसिक तनाव दे रहे हैं। अगर मुझे कुछ हो गया या तनाव में आकर मैं आत्म हत्या करलू तो इसका कारण स्वामी देवा नंद और उनका शिष्य स्वामी हर्षा नंद होंगे।
स्वामी दुर्गेशा नंद सरस्वती“
ये मेसेज आया है और क्यूंकि हम एक सजग प्रहरी के तौर पर कार्य करते हैं और साधुओं पर इस टाइप का खतरा आना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, आश्रमों में इतने मर्डर हो रहे हैं कि यह कोई ऐसी घटना नहीं है जिसको नज़रंदाज़ किया जा सके, ऐसी घटनाएं बहुत हो चुकी हैं। अब ये देवानन्द कौन हैं और हर्शानंद कौन हैं, मैं नहीं जानता, और मैं जानना भी नहीं चाहता। परन्तु ये यदि वहाँ के ट्रस्टी हैं, और एक बात तो मैं भी जानता हूँ – दुर्गेश आनंद स्वामी कल्याणा नंद के शिष्य थे, उन्हीं के समय से वहाँ पर काम कर रहे हैं, इसमें तो कोई संदेह की बात नहीं है कि वे वहाँ के महंत हैं। ट्रस्टी का काम महंत पर शासन करना नहीं होता है। आश्रम का संचालन महंत करेगा। ट्रस्टी केवल जब ट्रस्ट की मीटिंग होगी और वहाँ जो एजेंडा पास करेगा, उसी में ट्रस्टी का अधिकार है और जो कार्यकारिणी सदस्य हैं, वही काम करेंगे और महंत कार्यकारिणी सदस्य होता है, आश्रम का संचालन का काम महंत का होता है। अब क्या मामला है, क्या नहीं, यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं यह बात प्रेस को दे देना चाहता हूँ कि आपलोग यह कह दें कि यदि ऐसी कोई बात है तो देवानंद और हर्षा नन्द को आश्रम से दूर कर दिया जाए, जब ट्रस्टी की मीटिंग हो तो आकर मीटिंग कर लें और यदि वे किसी गलत गतिविधियों में पाया जाता है तो उन्हें ट्रस्ट से भी हटाया जाए क्यूंकि अगर उन्हें ट्रस्टी बनाया गया है तो आश्रम के हित के लिए बनाया गया है न कि उनके व्यक्तिगत हित के लिए बनाया गया है और इसी आशय की शिकायत मैं थाना को और पुलिस महानिदेशक सभी को दे दूंगा कि वे सख्ती से कार्यवाही करें। इसलिए मैं इस बात को संज्ञान में लेकर के आपलोगों को दे देना चाहता हूँ कि अग्रिम कोई अनहोनी घटना न घटे।
स्वामी शिवानंद ने कहा कि हम इन साधु-संतों से पुनः निवेदन करते हैं कि आप साधु संत हैं त्याग करके साधु संत हुए हैं, तो यदि आपमें त्याग नहीं है तो कृपया साधुता को कलंकित नहीं कीजिये। सर्वप्रथम इन दोनों ट्रस्टीयों को आश्रम से दूर कर दिया जाए और यदि ऐसी कोई बात सत्यापित होती है, तो इनका ट्रस्टी पद जाए। यह जांच करना पुलिस का काम है लेकिन एक प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते, क्यूंकि बहुत से साधुओं की हत्या हो गयी है, बहुत से साधु आत्महत्या कर लेते हैं, और एक तथाकथित धर्म की पार्टी, धर्म की संस्था बहुत से आश्रमों को कब्जाने में लगी है, इसमें कोई संदेह नहीं है, इन लोगों में धर्म तो कुछ है नहीं, केवल धन का खेल है। इसलिए हमारा कर्वत्य बनता है कि हम पुलिस को सूचना दें और पुलिस का कर्त्तव्य बनता है कि पुलिस उन्हें सुरक्षा दे।
दूसरी बात, आप सब जानते हैं कि हरिद्वार में कांवड मेला हो रहा है। कांवड मेला की तैयारी कैसे क्या होती है, कहना कठिन है क्यूंकि पूरा हरिद्वार अस्त-व्यस्त हो जाता है, तो इसलिए जहाँ-जहाँ पार्किंग इत्यादि हो, वहाँ प्रशासन को चाहिए कि टॉयलेट, पानी और बिजली की पूरी व्यवस्था करे। उस समय जो हंगामा हो जाता है, उसकी पूरी व्यवस्था प्रशासन को रखनी चाहिए। डीजे पर पूर्ण पाबंदी लगे। डीजे लगने से व्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं, इसपर माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है, इसपर उपजिलाधिकारी का भी आदेश आया है। इसलिए डीजे पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाकर कांवड मेला सुचारू रूप से चलायें। मेला में एक बात का और ध्यान रखें, कोई शराब पीकर न आये। अगर आये तो उसपर एक्शन लें और साथ ही साथ कांवड के समय में जो अभद्र गाना गाते हैं, उस पर भी पाबंदी लगे ताकि धर्म की प्रतिष्ठा हो।
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