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अंकिता हत्याकांड: पुलकित आर्य को बचाने के लिए धामी सरकार द्वारा किया गया एक नग्न कुत्सित प्रयास? पढ़िए क्या कहते हैं बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष

मनोज सैनी
हरिद्वार। अंकिता केस को लेकर सरकार व प्रशासन द्वारा भाजपा व संघ के वरिष्ठ नेता विनोद आर्य के आरोपी बेटे पुलकित आर्य के खिलाफ अभी तक जो कार्यवाही की गई है, वह पुलकित को बचाने के लिए किया गया एक नग्न कुत्सित प्रयास है। जी हां ये सच है और इसका कारण बताया उत्तराखंड बार संघ के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सुभाष त्यागी जी ने।


अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर श्री सुभाष त्यागी जी ने लिखा है कि अंकिता कांड में पहला झोल, राजस्व पुलिस (पटवारी) की हीला हवाली,फिर रैगुलर पुलिस को जांच सौंपने पर अभियुक्त के मूंह से यह कहना दिखाकर कि चिल्ला नहर पर अंकिता व पुलकित में कहासुनी हुई और अंकिता ने पुलकित का मोबाइल नहर मे फेंक दिया जिससे गुस्से (सडन प्रोवोकेशन) मे पुलकित ने अंकिता को नहर मे धक्का दे दिया, फिर एक तीर से तीन निशाने साध कर, सस्ती वाह वाही व जन आक्रोश को शांत करने के लिए, नाटक के तहत रिजोर्ट को बुलडोजर से तुडवा कर अंकिता के अपने जीवन बचाने के लिए अंतिम संघर्ष व अपराध के सबूत को मिटाने की आपराधिक कोशिश सरकार द्वारा की गई और यह सब हजारों करोड के मालिक व नितांत अपने सेवक के अपराध को न्यून करने के लिए ही नही, अपितु उसे बचाने के लिए नग्न कुत्सित प्रयास दर्शाता है।
आश्चर्य है धर्म की दुहाई देने वाले कथित संतो, महामण्डलेश्वरों एवं एक राजनीतिक पार्टी के स्थानीय आकाओं द्वारा लोमहर्षक घटना के प्रति चुप्पी साधना, उनका अपराधी के प्रति फरमाबरदारी दर्शित करता है या उनकी कोई विवशता?
महाभारत का राज सभा का द्रोपदी चीर हरण व उसके कर्णभेदी चित्कार पर भी वहां मौजूद भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य जैसो का मौन रहना, उनकी सारी महानता को को इतिहास मे धूल धूसरित कर गया! इतिहास से सबक लो, बंधुवा मजदूर न बनो, जुल्म के खिलाफ आवाज उठाओ! फिर भी हमें उम्मीद बडी है कि उजाला होगा,अंकिता जैसी बिटियाओं को इंसाफ मिलेगा।

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